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डीएवी पीजी कॉलेज में छात्र संघ ने कॉलेज और PWD के खिलाफ उठाई आवाज, स्मार्ट लाइब्रेरी का निर्माण न होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

देहरादून: डीएवी पीजी कॉलेज में पर्वतीय जिलों से लेकर मैदानी जिलों से छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, लेकिन छात्रों को पुस्तकालय की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे उन्हें प्राइवेट लाइब्रेरी में सात सौ से आठ सौ रुपए प्रतिमाह भुगतान करने पड़ते हैं. ऐसे में छात्रसंघ लगातार स्मार्ट लाइब्रेरी बनाने की मांग कर रहा है. डीएवी पीजी कॉलेज में 48.11 लाख रुपए की लागत से स्मार्ट लाइब्रेरी बनाई जानी थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी की लेट लतीफी से छात्र परेशान हैं.

डीएवी पीजी कॉलेज के एनएसयूआई अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि स्मार्ट लाइब्रेरी को बनाने के लिए सभी अप्रूवल हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद लाइब्रेरी को बनाने में लगातार देरी की जा रही है. कॉलेज की तरफ से पीडब्ल्यूडी को 50% से अधिक पेमेंट जारी कर दिया गया है. उसके बाद भी विभाग लाइब्रेरी बनाने में देरी पर देरी किए जा रहा है, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही स्मार्ट लाइब्रेरी का काम पूरा नहीं होता है, तो छात्र बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.

कॉलेज के एनएसयूआई महासचिव शुभम ने कहा कि कॉलेज की लाइब्रेरी से छात्रों को समुचित सुविधा मिलती थी, लेकिन वक्त के साथ-साथ लाइब्रेरी को भी स्मार्ट किया जाना आवश्यक था. पिछले 9 महीने से छात्रों को लाइब्रेरी का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में मजबूरन छात्र-छात्राओं को प्राइवेट पुस्तकालयों में 800 से हजार रुपए प्रतिमाह चुकाकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि अगर डीएवी पीजी कॉलेज कैंपस की स्मार्ट लाइब्रेरी को जल्दी नहीं बनाया जाता है, तो छात्र उग्र आंदोलन करेंगे.

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रसायन विभाग के प्रोफेसर और कॉलेज में मेंटेनेंस का कार्यकाल संभाल रहे डॉ. विनीत बिश्नोई ने बताया कि कॉलेज की लाइब्रेरी काफी साल पुरानी थी और समय-समय पर उसके रिनोवेशन की बात उठती रही है. ऐसे में नए स्वरूप की प्लानिंग करते हुए डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया. उन्होंने कहा कि डिजिटल लाइब्रेरी के निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी इकाई को चुना गया, लेकिन लाइब्रेरी को नए स्वरूप में ढालने के प्रारूप में कुछ संशोधन करने पड़े.

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