उत्तराखण्ड
आपात स्थिति में 15 नए इलेक्ट्रॉनिक सायरन लगाए जाएंगे, आवाज 16 किमी तक जाएगी
दून शहर में मॉक ड्रिल के दौरान जब सायरनों की आवाज ढंग से नहीं सुनाई दी तो हड़कंप मच गया. लोग हैरान थे कि खतरे का संकेत देने वाला ये सिस्टम आखिर इतनी धीमी आवाज क्यों दे रहा है. जब जांच हुई तो पता चला कि जो सायरन सिस्टम बरसों पहले लगाए गए थे वो अब काम के नहीं रह गए हैं. साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान जो सायरन लगाए गए थे वही आज तक इस्तेमाल हो रहे थे.
सात मई को जब मॉक ड्रिल हुई तो सायरन की आवाज एक किलोमीटर दूर भी नहीं पहुंच सकी. जबकि पहले दावा किया जाता था कि ये आवाज आठ से दस किलोमीटर तक सुनी जा सकती है. इस खामी का मामला देहरादून से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया. इसके बाद सिविल डिफेंस की तरफ से इसे गंभीरता से लिया गया.
अब दून में आपात स्थिति के लिए नई व्यवस्था तैयार की जा रही है. शहर में पंद्रह नए इलेक्ट्रॉनिक सायरन लगाए जाएंगे. इनमें से दस सायरन ऐसे होंगे जिनकी आवाज आठ किलोमीटर तक जाएगी. जबकि पांच सायरन की आवाज सोलह किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकेगी.
ये सारे सायरन पुलिस थानों और चौकियों पर लगाए जाएंगे. इनको सीधे कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा. जहां से एक साथ सभी सायरनों को बजाया जा सकेगा.
देहरादून को भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. बरसात के महीनों में भी यहां खतरा बना रहता है. इसलिए सतर्कता के लिए सायरन बेहद जरूरी हैं. डीएम सविन बंसल ने बताया कि अब आपातकालीन चेतावनी प्रणाली को पूरी तरह आधुनिक बनाया जाएगा. इसके लिए बजट भी जारी कर दिया गया है.
मॉक ड्रिल के दौरान जो खामियां सामने आई थीं उनके बाद ही ये फैसला लिया गया है. अब शहर को नई और बेहतर सायरन व्यवस्था मिलेगी जो किसी भी विपरीत हालात में समय पर चेतावनी देने का काम करेगी.
















