उत्तराखण्ड
पौराणिक कथाओं के अनुसार व हिन्दू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ वर्त को मनाने के लिए अलग-अलग कहावत है आईए जरा सुने करवा चौथ वर्त कथाएं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार व हिन्दू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ वर्त को मनाने के लिए अलग-अलग कहावत है आईए जरा सुने करवा चौथ वर्त कथाएं। कार्तिक मास चतुर्थी तिथि के दौरान देवताओं व दानवों में युद्ध हुआ । देवता लोगों को दानवों के साथ युद्ध हारने के संकेत दिखे तब देवताओं ने ब्रह्मादेव से बोला हम क्या करें इस युद्ध के लिए ब्रह्मदेव ने देवताओं को बोला अगर आपको दानवों के साथ युद्ध जीतना है तो सभी की पत्नियों को इस युद्ध जीत के लिए वर्त रखना होगा। देवताओं ने व देवताओं की पत्नियों ने ब्रह्मादेव का बचन स्वीकार किया सभी देवताओं की पत्नियों ने ब्रह्मादेव के कहे अनुसार अपनी पतियों के लिए वर्त रखा उनके वर्त स्वीकार हुआ देवता युद्ध जीत गए।तब आकाश में चंद्रमा भी दिखने लगा उन्होंने चंद्रमा को जल चढ़ाकर पूजा अर्चना करके वर्त तोडा । दुसरी कहावत करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो नदी में उन्हें मगरमच्छ ने पकड़ लिया उन्हें खींचकर मारने लगा तब करवा के पति ने अपनी जान बचाने के करवा अवाज दी तब करवा ने अपने पति को मगरमच्छ से छुड़वाने के लिए यमराज से प्रार्थना की मेरी पति को बचाओ।जब यमराज वहां पर आये उन्होंने कहा करवा आपके पति की मृत्यु का समय आगया है।मैं क्या करु अभी मगरमच्छ की मृत्यु शेष है।तब करवा ने यमराज को बोला हे यमराज कुछ भी करो मेरे पति को मगरमच्छ से बचा दो । लेकिन यमराज नहीं माने।तब करवा ने बोला अगर ऐसा नहीं होगा मैं शाप दे दुंगी।तब यमराज ने सती औरत के शाप के डर से मगरमच्छ से करवा के पति को बचाया। तभी से करवा माता के नाम से भी करवा चौथ वर्त रखा जाता है।एक सती पत्नी की भक्ति से कुछ का कुछ हो सकता है।
करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।बैदिक पंचाक के अनुसार इस साल 31अकटूवर रात्रि 9.30से चतुर्थी तिथि शुरु होगी 1नवंबर रात्रि 9.19को समाप्त होगी। इसलिए करवा चौथ का वर्त 1नवंबर को मनाया जाएगा। सनातन धर्म के बेहतर महत्वपूर्ण वर्तो में करवा चौथ का वर्त माना जाता है। करवा चौथ वर्त प्राचीन काल से स्त्रियों के द्वारा अपने पति के लिए दीर्घ आयु के लिए किया जाता है। करवा चौथ वर्त में हर स्त्री सोल्ह श्रगार व नये आभुषणों के साथ इस वर्त को बिना पानी पिए अपने अपने पतियों के लिए दीर्घ आयु के लिए कामनाएं करती है। रात्रि के समय स्त्रियां एक छलनी व पूजा की थाली व पानी का लोटा लेकर चंद्रमा को जल चढ़ाकर अर्घ्य देकर अपने अपने पति को छलनी से देखते हैं। भगवान से प्रार्थना करते हमारे पति की दीर्घ आयु हो उसके बाद अपने अपने पतियों को टिका चन्दन लगाकर फिर पति लोग अपनी अपनी पत्नियों को पानी पिलाकर वर्त तोड़ते हैं। इसके साथ-साथ कुंवारी लड़कियों के लिए भी करवा चौथ वर्त कथा सुनना व शिब पार्वती की पूजा अर्चना करना उत्तम माना जाता है। बहुत सी लड़कियों की सगाई हो जाती है।