कुमाऊँ
क्षणिकाएं
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क्वार्टर गार्ड
रोज सुबह, दोपहर,शाम
कड़की ठंड,तपती घाम
सहकर, घंटों, दिनों सालों खड़े रहते, मुस्तैदी से,
रक्षा करने दूसरों की,
तब जाकर कही बनते
क्वार्टर गार्ड।
नही बनते बोतल -गार्ड, क्वार्टर गार्ड ।।
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वकील
झूठ के फील्ड पर
कानून की पिच बनाकर
ममता की ढाल से
बैटिंग होने लगी,
लड़की सुधारने
डांटा- फटकारा तो
वकील बन गयी,
माँ नहीं।।
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दानपात्र
योग,आरती , महाभोग
दर्शन से पहले, और दर्शन के बाद,
बार-बार खबर दानपात्र
ले रहे थे।
दो अंको की सबसे छोटी संख्या का आधा
दान करने
दानपात्र ढूढ रहे थे।।
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कोण
गणित में वृत्त के प्रश्नों में
समान चाप, समान कोण
बनाते हैं,
पढ़ाया गया।
प्रश्नपत्र में जब कोण पूछा
चाँदा से मापते नज़र आया।।
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विज्ञान
इलेक्ट्रान,अति सुक्ष्म कण
गति में विराजमान,
पदार्थ -ऊर्जा सम्बंध
तक ले जाते।
जब से मालूम चला
गति से चालकता है,
और चुम्बकत्व भी।
छोटे होते जा रहे हैं
कभी भी झटका दे सकते हैं,
मौके ए वारदात पर
चिपक कर गलबैया भी।।
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नौकरी
आवेदन करने के साथ
सपनों की बारात
निकल आती हैं।
एक -एक दिन कर
पसीना सुखाकर
पेन गीली की।
तो कार्ड छपने से पहले
दुल्हन,
कोई और भगा गया।।
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स्वभाव
बदलते मौसम की तरह तो नही,
ग्लोबल वार्मिंग झेले,
जिसने बदल दिये पैटर्न,डिज़ाइन बारिश के।
हो तो फटे, ना तो औठ सिले।।
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कमज़ोर
व्यवस्था की व्यथा
सालों से गा रहे यही कथा
कब सुधरेगी,बड़ी कमज़ोर है।
प्रतिभा पर पहरे हैं
कहीं मज़बूत हो गयी
चार पाये कुर्सी के
कमज़ोर हो जायंगे।।
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हाकिम
हुकूमत और हाकिम
समानार्थी कम संरेखीय
ज्यादा हैं।
एक से दूसरे को सन्तुष्ट
कराना पड़ता है।
ये गणित में सिद्ध है,
इसीलिए जो सिद्ध है
वही सत्य हैं।।
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खुशी
पा जाने की उतनी नही
जितनी, इसकी खबर की।
बीच की रंगत ही देखनी लायक़ होती है,
शेष तो फल है।
उस पर किसका अधिकार है?
भगवद गीता का यही सार हैं।।
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पाप
प्याज़, लहसुन खाकर
पाप लगता हैं।
अंडर द टेबल नगद- नारायण विनिमय कर,।
भक्त प्रवचन का आनंद लूटने लगे।।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ उत्तराखंड
(लेखक,वैज्ञानिक शोध एवं विज्ञान शिक्षा प्रसारक,अध्यापन)