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सीएम ने पेपर लीक मामले में अपराधियों को लेकर कही ये बात

माननीय मुख्यमंत्री जी से आज पेपर लीक मामले में चर्चा करी । मुख्यमंत्री जी ने आश्वासन दिया इसमें जो भी अपराधी होगा बक्सा नहीं जाएगा युवाओं के साथ अन्याय करने वाले हर व्यक्ति की कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी और जो अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे हैं उनके साथ न्याय होगा उनके अभिभावकों से वह परीक्षार्थियों बात करके न्याय होगा ना कि रोजगार पर राजनीति करने आ रहे हैं लोगों से जो न तो अभ्यर्थी हैं और ना ही बेरोजगार खाली बेरोजगार संगठन के नाम पर राजनीति कर रहे हैं उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने 25000 से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी दी है और इस वर्ष भी परीक्षा का कैलेंडर जारी हो गया था परंतु एक षड्यंत्र के तहत यह कार्य किया गया । इस पर पहले जांच कर जो अपराधी है उन लोगों को सजा दी जाएगी और सजा अवश्य दी जाएगी और परीक्षा के संदर्भ में जनता और अभ्यर्थियों को विश्वास में लेकर एक-एक कार्रवाई की जाएगी और वह कार्रवाई सबके समक्ष आएगी ।

भाजपा जिला अध्यक्ष का प्रताप बिष्ट ने कहा कि —

“पेपर लीक” नहीं, बॉबी पंवार का “पॉलिटिकल लीक”

बॉबी पंवार कौन है?

बॉबी पंवार कोई साधारण छात्र नेता नहीं, बल्कि राजनीतिक महत्वाकांक्षी व्यक्ति है। पहले यह बेरोज़गार संघ से जुड़ा रहा, फिर “उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा” नामक संगठन खड़ा कर लिया। विगत लोकसभा चुनाव में टिहरी से चुनाव लड़ चुका है, लेकिन जनता ने इसे नकार दिया। अब यह हर मुद्दे को तोड़-मरोड़कर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करता है।


बॉबी पंवार का असली मकसद

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छात्रों की भावनाओं का दुरुपयोग करना और उन्हें भड़काकर आंदोलन कराना।

सरकार को बदनाम करना और अपने लिए “युवाओं का मसीहा” बनने की छवि गढ़ना।

हर छोटी घटना को पेपर लीक का नाम देकर सोशल मीडिया पर हल्ला मचाना।

राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए झूठ का पहाड़ खड़ा करना।


बॉबी पंवार को कौन सपोर्ट कर रहा है?

विपक्षी दल और कुछ कोचिंग लॉबी, जिन्हें पारदर्शी भर्ती व्यवस्था से तकलीफ़ है।

बेरोज़गार छात्रों के नाम पर वही पुराने लोग, जिन्होंने पहले भी नकल माफियाओं की आड़ में सरकार को बदनाम करने की साज़िशें रची थीं।

कांग्रेस सहित वे लोग, जो धामी सरकार की साफ छवि से परेशान हैं और बॉबी को एक “मुखौटे” (प्रॉक्सी) की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।


असली घटना क्या है?

UKSSSC परीक्षा में हरिद्वार के एक सेंटर से खालिद नामक परीक्षार्थी ने नकल के लिए प्रश्नपत्र के 3 पन्नों की फोटो खींचकर बाहर भेजने की कोशिश की।

यह “पेपर लीक” नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर नकल का प्रयास था।

सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए FIR दर्ज की, खालिद को गिरफ्तार किया, और SIT गठित कर दी।

SIT का नेतृत्व एसपी जया बलूनी कर रही हैं और इसकी निगरानी के लिए माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त कर दिया गया है।


पुष्कर सिंह धामी सरकार की सख़्ती

पूर्व में हुई घटनाओं के बाद धामी सरकार ने देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून बनाया।

पिछले 4 वर्षों में 25,000 से अधिक नौकरियाँ दी गईं — जो बीते 15–20 वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है।

सरकार पर अब तक कोई दाग नहीं लगा, जिससे विपक्ष बौखलाया हुआ है।

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यही कारण है कि बॉबी पंवार जैसे लोग सोशल मीडिया का सहारा लेकर झूठ फैलाते हैं।


निष्कर्ष

पेपर लीक का कोई संगठित गिरोह नहीं पकड़ा गया। नकल का एक प्रयास ज़रूर हुआ, जिस पर सरकार ने तत्काल कार्रवाई की। असली “लीक” बॉबी पंवार का है — पॉलिटिकल लीक।
छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए सरकार कड़े कदम उठा रही है। लेकिन बॉबी पंवार युवाओं की मेहनत और भावनाओं से खेलकर केवल अपनी राजनीति की दुकान चला रहा है।

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