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कुमाऊँ

कोरोना एक भयावह आपदा,पर बनाई कविता

टनकपुर। युवा कवि रजत त्रिपाठी ने आज हमारे पर्वत प्रेरणा न्यूज़ पोर्टल को अपने मन से लिखी कविता भेजी है। इस कविता के माध्यम से रजत त्रिपाठी यह कहना चाहते हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना में कई लोगों ने अपनों को खो दिया है किसी ने अपने पिता को खोया किसी ने अपनी मां को खोया किसी ने अपनी बहन को खोया किसी ने अपने भाई को खोया किसी ने अपने बच्चों को खोया है। ग्रेजुएशन कर चुके युवा कवि रजत त्रिपाठी ने लोगों के दर्द को बयां करते हुए यह कविता लिखी है। कविता का शीर्षक है:- “कोरोना एक भयावह आपदा”
कई माँओ से बिछड़े बच्चे
कई बच्चो ने माँ को खोया है
सब देख कलेजा फटता है
अपनो ने अपनो को खोया है
तीन दिवस का नवजात है कोई
कोई छ: माह का बच्चा है
माँओ ने सड़को पर तोड़ा दम
अच्छे दिनों का भ्रम अच्छा है
आँखों मे अब नीर नही
लाशो की केवल तस्वीरे है
शरीर मे दिखते घाव नही
ह्दयो में अनगिन पीरे है
कैसे मातृ दिवस मनाऊँ
संकट की इन घड़ियों में
हर और एक सैलाब उठा
नयनो से बहती नदियों में
बस बहुत हुआ है प्राणनाथ
तीनो लोको के स्वामी
दया दृष्टि अब दर्शोओ
है कृपासिंधू अंतर्यामी
क्षमा करो है प्रभु हमे
हम सब तो तेरे बालक है
तू ही विघ्नों को हरने वाला
तू ही हम सब का पालक है।

संवाददाता:- गौरव शर्मा टनकपुर

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