कुमाऊँ
लॉकडाउन को खुद पर न होने दे हावी: आराधना
“जीवन जीने के लिये लक्ष्य होना चाहिये
सकारात्मक होने के लिए पक्ष ढूंढना चाहिए”✍🏻✍🏻
इस कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में ही नही अपितु लोगों के मानसिकता पर भी लॉकडाउन लग गया है। कई लोग इस लॉकडाउन से डिप्रेशन का शिकार हो रहे है। सिर्फ बाहर जाने की रोक से खुद को कैद महसूस कर रहे है जबकि ऐसा बिल्कुल नही है। यही ऐसा वक़्त है जब हम खुद को बिल्कुल खुला रख सकते है, अपने विचारों तथा भावनाओं से। हमें इस लॉकडाउन जैसी पहल की सराहना करनी चाहिये। इस पहल के तहत लाखों ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती है, जिससे हम इस महामारी पर जल्द से जल्द विजय पा सकते है। जब सभी अपने-अपने घरों में रहेंगे तो स्थिति खुद से सुधरनी शुरू हो जाएगी।
हमें किसी भी समस्या के नकारात्मक पक्ष को देखने के वजाए सदैव सकारात्मक पक्ष को देखना चाहिए। अब आप कहेंगे लॉकडाउन जैसे पहल में भी भला कौन सी सकारात्मकता ? लेकिन जी हाँ , सकारात्मक पक्ष देखा जाए तो वाकई इस लॉकडाउन ने हम सबके लिए बहुत बड़ा अवसर प्रदान किया है।
–आइये इन अवसरों पर एक नज़र डालते है-
• महामारी से पहले सभी अपने-अपने नौकरी में व्यस्त रहा करते थे, सुबह घर से जल्दी निकलना और देर शाम घर लौटना, इस बीच न हम खुद को समय दे पाते थे और न ही अपने परिवार के लिये। आज हमारे पास समय ही समय है अपने परिवार के लिए भी।
• आज हम लोगों के पास इतना वक़्त है कि हम तसल्ली से बैठकर अपने विचार, भावना तथा सुझाओं को लिखकर पुस्तकों तथा सोशल मीडिया के द्वारा एक दूसरे तक पहुँचा सकते है जो कि औरो को भी सकारात्मक विचारों से लाभवंतीत कर सकता है।
• खुद को नए कार्यो में लगाये रखे जो आपको और अधिक क्रिएटिव कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
• घर में अपने बच्चो के साथ बैठकर लूडो, बिज़नेस आदि खेल खेला करे जिससे बच्चों का भी मनोरंजन होगा और उन्हें यह भी लगेगा कि आपने उन्हें समय दिया।
इन सभी बातों को ध्यान में रख कर ज़िन्दगी जीना शुरू कीजिए, आप खुद सकारात्मक विचारों को अपने अन्दर प्रवेश करता पाएंगे तथा सभी से अनुरोध है कि वह खुद पर लॉकडाउन जैसे पहल के नकारात्मक पक्ष को हावी न होने दे।
संपादक: आराधना शुक्ला ‘ग्रीन पैंथर’ उत्तराखण्ड




























