Connect with us

Uncategorized

पांच जड़ी-बूटियां रोकेंगी पलायन, बंजर खेतों में होगी इनकी खेती

अल्मोड़ा। पलायन रोकने को सरकार की ओर से समय-समय पर नए नए कार्यक्रम चलाए जाते रहे हैं। इस बार जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों ने नाबार्ड के साथ मिलकर वृहद कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत जिले के आठ गांवों में बंजर खेतों का चयन किया गया है। इनमें पांच तरह की जड़ी बूटियों की खेती की जाएगी। ऐसे किसान जो खेतीबाड़ी छोड़ चुके हैं, कांट्रैक्ट के आधार पर उनकी जमीन पर औषधीय पौधों की खेती कराई जा रही है। पौधे नावार्ड की ओर से मुफ्त दिए जा रहे हैं।जबकि तकनीक जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक उपलब्ध करा रहे हैं वैज्ञानिक डॉ. सतीश चंद्र आर्य ने बताया कि इसके लिए किसानों को आधुनिक तरीके से खेतीबाड़ी सिखाने के साथ-साथ उन्हें आयुर्वेद की दवाएं और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने वाली कंपनियों से भी जोड़ा जाएगा ताकि अधिक से अधिक उत्पादन और मार्केटिंग कर उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सके।

इस प्रोजेक्ट से 500 किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 349 किसान जुड़ चुके हैं। करीब 50 किसान ऐसे हैं जो बाहर नौकरी करते थे। ये सभी लौटकर खेती से जुड़ रहे हैं।

ज्यौली-कनेली, बिसरा, बिलकोट, खड़कौना, कुंज्याड़ी, खूड, धामस और कटारमल

इन प्रजातियों की कराई जा रही खेती

तेज पत्ता, तिमूर, समेव (कैंसर की दवा में इस्तेमाल होता है), वनहल्दी (एक तरह का मसाला है), रोजमेरी (सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में इस्तेमाल होता है)

सभी औषधीय पौधों से होने वाला उत्पादन अच्छा मुनाफा देता है क्योंकि इनका प्रयोग दवा और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाने में होता है। इस कारण ये सामान्य खेती से कहीं ज्यादा मुनाफा देते हैं। कुछ समय के बाद इसके सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे। डॉ. सतीशचंद्र आर्य, वैज्ञानिक, जीबी पंत संस्थान कोसी कटारमल

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
यह भी पढ़ें -  बड़ी खबर- सादगी से बनेगा राज्य स्थापना दिवस-सीएम धामी

More in Uncategorized

Trending News