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हल्द्वानी मित्र पुलिस ने किया बेटा खो गए पिता के साथ ऐसा सलूक
हल्द्वानी। दुश्मन की मौत पर भी संवेदनाएं जताने की आदत इंसानों को दुनिया के अन्य प्राणियों से अलग करती है। युवाओं-बच्चों की मौत पर तो अनजानों की भी आंखें भर आती है लेकिन मित्र पुलिस क्ज़लाने बाली खाकी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि फर्क पड़ता तो जवान बेटे की हादसे में खोने वाले पिता को मुकदमा लिखवाने के लिए दस महीने तक नहीं दौड़ाती। जनता दरबार लगाने वाले अफसरों ने तीन बार शिकायती पत्र देने के बाद भी बेबस जाप की नहीं सुनी। आहत होकर पिता को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। अब कोर्ट के निर्देश पर खिसवाई पुलिस ने एक व्यक्ति पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। ऐसी पुलिस क्या पीड़ित को न्याय दिला पाएगी
मूल रूप से चम्पावत जिले के बाराकोट रैनगांव निवासी दलीप सिंह के बेटे सूरज अधिकारी रामपुर रोड में हो किराए के कमरे में बच्चों संग रहते थे। पेत्रों से वाहन चालक सूरज 14 अप्रैल को सुबह स्कूटी से अपने कमरे की तरफ आ रहे थे। डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल के पास तेज रफ्तार स्कूटी ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। घायल सूरज को एसटीएच में भर्ती कराया गया। जहा 17 अप्रैल को उपचार के दौरान सूरज ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद हल्द्वानी थाने में मृतक के पिता दलीप सिंह ने तहरीर दी। कार्रवाई का आश्वासन देकर पुलिस ने मामला टाल दिया। तीन अगस्त को हल्द्वानी थाने में फिर डाक से तहरीर दी गई लेकिन इस बार भी पुलिस में कोई एक्शन नहीं लिया। 14 अगस्त को पीड़ित पक्ष ने एसएसपी को ढाक से शिकायती पत्र भेजा, लेकिन इस पर भी सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद आहत होकर पीड़ित कोर्ट की शरण में गाए। अब एसीजेएम मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के निर्देश पर पुलिस ने रोहित उर्फ राजेश्वर अधिकारी निवासी आनंद बाग, तल्ला गोरखपुर,
हल्द्वानी के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने में मुकदमा दर्ज किया है। कोतवाल राजेश यादव ने बताया कि एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।पीड़ित दलीप सिंह ने तहरीर में लिखा है कि उन्हें पुलिस के दरोगा कार्रवाई का आश्वासन घंटों थाने में देकर बिठाए रखते थे। कोतवाली का मामला होने के बावजूद मुखानी थाने भेजते थे। आरोप है कि मुकदमा दर्ज कराने के लिए वह कई पुलिसवालों से पैर तक पड़े लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। पीड़ित ने कोर्ट का आभार जताया है। कहा कि न्यायपालिका से उन्हें उम्मीद थी। पिता दलीप ने बताया कि बेटे के साथ हादसे की जानकारी उन्हें दूसरे दिन लगी। पुलिसवालों ने उन्हें कॉल तक नहीं किया। जब किसी ने मदद नहीं की तो वह कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के पास गए। कमिश्नर ने उनकी मदद की। जिसके बाद एसटीएच में उनके बेटे का शव उन्हें मिला। सूरज की एक बेटी है।
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