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कुमाऊँ

“डूबकर मेहनत करो अपने आज पर, जब उभरोगे सबसे अलग ही निखरोगे”

कही न कही ये पंक्त्ति्यां सच साबित होते नज़र आयी। हम बात कर रहे है उत्तराखण्ड की युवा साहित्यकार आराधना शुक्ला कि, जिन्होंने एक बार फिर अपनी लगन और कड़ी मेहनत से दो नई पुस्तकें प्रकाशित की हैं। पहली पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखी गयी है जो कि कविताओं तथा लघु कथाओं का संग्रह है, जिसका शीर्षक “थ्रेसहोल्ड टू एस्पिरेशन” है। वहीं दूसरी पुस्तक हिंदी भाषा में लिखी गयी है जो की काव्य संकलन है, इसका शीर्षक “आकांक्षा की दहलीज” है। दोनो ही पुस्तकों में सम्मिलित कविताएं तथा लघु कथाएं जीवन के अनुभवों से जुड़े हुए है जिसको पढ़ने के बाद लोग इसे अपने जीवन से जोड़ते हुए सकारात्मकता को हासिल कर सकते है। इन पुस्तकों में देश के विभिन्न राज्यों से प्रोफ़ेसर्स, शोध,अनुसंधान विद्धवान तथा अनेक विद्यार्थियों ने भाग लिया। उनका मानना है कि इस पुस्तक को सफलता पूर्वक प्रकाशित करने में परम पिता परमेश्वर की कृपा, माता-पिता तथा गुरुजनों के आर्शीवाद व शुभचिंतको का सहयोग रहा है।
पुस्तक में केतन पाटिल द्वारा ‘मौत का मंजर” शीर्षक पर लिखी गई कविता जीवन जीने और मरने तक का ऐहसास कराती है, जिंदगी निकल गई,साथ कोई ना चल सका,मौत क्या नसीब हुई पूरा काफिला चल बसा,
इसी तरह प्रेम प्रकाश उपाध्याय द्वारा लिखी कविता अहा जिंदगी भी काफी प्रेरणादायक है। पुस्तक में इसी तरह खामोशियां, जिंदगी की दौड़, अधूरी मोहब्बत आदि अनेक कविताएं, आलेख स्तरीय हैं। आराधना द्वारा लिखी गई दोनों पुस्तकें अमेजन (Amazon) पर उपलब्ध हैं।

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