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उत्तराखण्ड

सेवा से नेतृत्व तक: जयपुर पाडली में हेमू पडलिया की मजबूत दस्तक

आईस्क्रीम पर जगी आस

पर्वत प्रेरणा ब्यूरो
हल्द्वानी। ग्रामसभा जयपुर पाडली की सियासत इस बार नई करवट लेती दिखाई दे रही है। प्रधान पद के लिए युवा, शिक्षित और सामाजिक रूप से सक्रिय हेमू पडलिया की दावेदारी ने चुनावी समीकरणों में हलचल पैदा कर दी है। हमारा गांव, हमारी आवाज अभियान के तहत जब पर्वत प्रेरणा टीम जयपुर पाडली पहुँची, तो गांव की गलियों में बदलाव की खुली चर्चा और समर्थन की गूंज सुनाई दी।
हेमू पडलिया वर्षों से बिना किसी पद के गांववासियों की सेवा में जुटे हैं। यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान उन्होंने सद्भावना यूथ फाउंडेशन के माध्यम से न केवल ऑक्सीजन सिलेंडर और राशन की आपूर्ति कराई, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को भी राहत पहुँचाई। उनकी इस निःस्वार्थ सेवा भावना को सराहते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल ने उन्हें “कोरोना वारियर” सम्मान से नवाजा। आइये क्या कहते हैं हेमू।

सामाजिक सेवा के साथ-साथ धार्मिक आयोजनों में भी उनकी भागीदारी उल्लेखनीय रही है। वर्ष 2024-25 में वे श्री चारधाम मंदिर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष रहे, जहां उनकी नेतृत्व क्षमता और आयोजन कुशलता की सराहना हुई। वहीं गर्मियों में जब गांव पेयजल संकट से जूझ रहा था, तब उन्होंने नि:शुल्क जल आपूर्ति कराकर ग्रामीणों का भरोसा और भी मजबूत किया।

अब जब वे औपचारिक रूप से ग्राम प्रधान पद की दौड़ में हैं, तो उनका विजन पहले से कहीं अधिक स्पष्ट और ठोस दिखाई देता है। हेमू कहते हैं “हर गली, हर घर तक विकास की रौशनी पहुँचे, यही मेरी प्राथमिकता है।”जल संकट का स्थायी समाधान,पक्की सड़क और सुचारु विद्युत आपूर्ति,
सरकारी योजनाओं की पारदर्शी पहुँच,जल जीवन मिशन का प्रभावी क्रियान्वयन मुख्य कार्य हैं।

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हेमू पडलिया ने यह भी ऐलान किया है कि गांव में बिछाई गई प्लास्टिक पाइपलाइन को लोहे की पाइपलाइन में बदलवाने के लिए वे एक जनआंदोलन की शुरुआत करेंगे। गांव में उनके प्रति जबरदस्त उत्साह है। युवा हो या बुजुर्ग, महिलाएं हों या किसान सभी तबके उनके अब तक के योगदान को नेतृत्व के योग्य मान रहे हैं। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा “हेमू पहले से ही हमारे बीच है, अब उसे पंचायत की कमान भी मिलनी चाहिए।”
अब देखना यह होगा कि हेमू पडलिया की इस लोकप्रियता और सेवा-आधारित दावेदारी के सामने अन्य प्रत्याशी कौन सी रणनीति अपनाते हैं और जनता का फैसला किसके पक्ष में जाता है।

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