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हल्द्वानी में बनाए लोकल बस अड्डे,आखिर कब तक अस्थाई ठिकाने से चलेंगी बसें
हल्द्वानी। एक तरफ हल्द्वानी को महानगरों की तर्ज पर विकसित करने की बात कही जा रही है वहीं आज भी शहर से रामनगर, काशीपुर और बाजपुर की तरफ जाने वाले यात्रियों को एक बस स्टेशन तक की सुविधा तक नहीं मिल पाई है। यात्रियों को बस ढूंढने के लिए कालाढूंगी रोड के चक्कर लगाने पड़ते हैं। यहां बस स्टेशन के नाम पर कीचड़ और गंदगी से भरा लगभग सवा बीघा का प्लॉट है, जो गर्मी में मिट्टी और धूल से गंदा हो जाता है वहीं बरसात में पानी भरने से कीचड़ से भर जाता है। ऐसे ही कीचड़ से सनी बसों के सहारे यात्री अपनी यात्रा पूरी करते हैं।संचालकों के अनुसार बीते दस साल से पीलीकोठी तिराहे के पास सड़क से बसें चलाई जा रही हैं। हर रोज सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक लगभग 35 बसें संचालित होती हैं, जिनमें करीब दो हजार लोग यात्रा करते हैं। गर्मी में तेज धूप हो या बरसात यात्रियों को अपना सामान हाथ में लिए ही खड़े रहना पड़ता है। बस संचालकों से टैक्स आदि लिया जाता है लेकिन स्टेशन जैसी कोई सुविधा नहीं दी जाती है। कम किराये में कुमाऊं के मैदानी इलाकों को जाने वाले यात्रियों के लिए बाजपुर बस अड्डा एकमात्र स्थान है। रामनगर, काशीपुर, बाजपुर आदि स्थानों को जाने वाले यात्री रोडवेज सेवा की बजाय यहां से चलने वाली निजी बसों में ज्यादा यात्रा करते हैं। यहां से दिनभर में इन इलाकों के लिए करीब 35 बसें संचालित होती हैं, जिनमें दो हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। लेकिन हजारों यात्रियों को सेवा दे रहा नाम का यह बस अड्डा खुद ही अव्यवस्थाओं के कीचड़ में डूबा है।बस संचालकों के अनुसार इस रूप पर पिछले 40 साल से बसें चल रही हैं और पिछले 10 साल से पीलीकोठी के पास से इनका संचालन हो रहा है। संचालन की सुविधा के लिए बकायदा समय पर बसों का टैक्स आदि भी जमा होता है लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर परिवहन विभाग एक सामान्य बस अड्डे जैसी सुविधा नहीं दे पा रहा है। बुधवार दोपहर 12 बजे ‘हिन्दुस्तान बोले हल्द्वानी की टीम बाजपुर बस अड्डे पर पहुंची तो बारिश में यात्री पीठ और हाथों में सामान लादे बस का इंतजार करते नजर आए। टीम को पीलीकोठी के पास कालाढूंगी रोड पर संचालित इस बस अड्डे में एक समय में मात्र चार मिनट के लिए एक बस खड़ी होती दिखी। सामान पकड़े यात्री बसों में चढ़ने के लिए जूझते नजर आए। संचालकों से बात करने पर पता लगा कि एक बस में 28 सीट यात्रियों के लिए और दो चालक परिचालक के लिए होती हैं। सड़क पर कम समय के लिए रुकने की व्यवस्था के कारण यात्री असहजता झेलकर बस में चढ़ते हैं। वहीं मौके पर पार्किंग की अच्छी व्यवस्था नहीं होने से चालक-परिचालक कीचड़ के बीच फंसी बसों को धक्का देकर निकालते मिले।
यात्रियों को नहीं मिल पातीं जरूरी सुविधाएं :
बस अड्डे पर सामान पकड़े खड़ी एक महिला से यहां की सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनका नाम सुशीला है और वह बाजपुर दवा लेने के लिए जा रही हैं। महिला ने बताया कि पहले उन्हें बाजपुर की बस ढूंढने के लिए उन्हें जूझना पड़ा। अब सामान होने के कारण बस में नहीं चढ़ पा रही हैं। बारिश और कीचड़ ने उनकी समस्या को दोगुना कर दिया है। सामान से भरा बैग लटकाए खड़े कालाढूंगी निवासी बुजुर्ग गोविंद बल्लभ ने बताया कि स्टेशन पर बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है। शौचालय की सुविधा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा को देखते हुए एक स्थान निश्चित कर बस अड्डा बनाया जाना चाहिए।हर दिन समस्याओं से जूझता है स्टाफ :
बस संचालकों के अनुसार स्टेशन की सुविधा नहीं होने के कारण उनका करीब 70 लोगों का स्टाफ भी हर दिन सुविधाओं के लिए जूझता है। स्टेशन के नाम पर उन्हें मात्र खाली प्लॉट पर पार्किंग मिलती है। जहां पर एक समय में मात्र 15 बसें खड़ी की जा सकती हैं। गर्मी में धूल और बारिश में कीचड़ के बीच संचालन करना पड़ता है। खाली प्लॉट पर फंसी बसों को निकालते चालक संजय ने बताया कि सड़क पर बस खड़ी करने पर हादसे की आशंका रहती है। ऐसे में पार्किंग के लिए मिले स्थान पर गड्डों में ही बस खड़ी करनी पड़ती है। इसमें पार्क की गई हर बस को धक्का देकर बाहर निकालते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस बस अड्डे को बना दिया जाए तो रेस्ट रूम आदि की सुविधा हमें भी मिल सकेगी।
सड़क पर संचालन, यात्रियों के लिए खतरा
परिचालक मो. फहीम ने बताया कि रामनगर और कोटाबाग को जाने वाले यात्री अधिकतर लोकल के ग्रामीण होते हैं। संचालन के लिए अधिक समय नहीं मिलने और बस खड़ी करने के लिए सड़क पर ले जाने से यात्रियों का चढ़ाना मुश्किल हो जाता है। चार मिनट तक ही सड़क पर रुक सकने की मजबूरी में कभी-कभी आधी बस भरकर लौटना पड़ता है। बस के लिए सड़क पर बैग लेकर अपनी बिटिया के साथ खड़ी धमोला निवासी महिला ने बताया कि हमें सड़क पर जाम और असुरक्षा के बीच बस का इंतजार करना पड़ता है।
पांच समस्याएं
- सड़क से बसों का संचालन होने से संचालकों और
यात्रियों की जान पर जोखिम। 2. मौके पर पार्किंग की
पर्याप्त सुविधा नहीं है। बरसात के दौरान कीचड़ में धंस
जाती हैं बसें। 3. यात्रियों के लिए बैंच और टिन शेड आदि के इंतजाम नहीं हैं। 4. रेस्ट रूम नहीं होने से
संचालक और बस स्टॉफ को असुविधा होती है। 5.
शौचालय नहीं होने से असहजता झेलती हैं महिलाएं और बुजुर्ग।
लोगों के पांच सुझाव
- स्थाई स्टेशन बनाकर बोर्ड लगाया जाए, जिससे
यात्रियों को बस अड्डा ढूंढने में परेशानी नहीं हो। 2. बैंच
और टिन शेड बनाए जाएं, ताकि धूप और बारिश में रुकने की सुविधा मिल सके। 3. रेस्ट रूम बनाए जाएं
जिससे स्टॉफ और संचालक खाली समय में आराम कर
सकें। 4. शौचालय की व्यवस्था हो ताकि यात्री
असहजता की स्थिति से बच सकें। 5. बसों के लिए पार्किंग और संचालन का स्थान हो निर्धारित ।
बस अड्डा नहीं होने से बसों का संचालन सड़क से करने को मजबूर हैं। सड़क पर यात्री बैठाने की मुसीबत है। बस अड्डा बन जाए तो संचालन बेहतर तरीके से हो सकेगा। फहीम, परिचालक। मैं बुजुर्ग हूं, स्टेशन पर कोई शौचालय नहीं है। इसके अलावा बैठने की व्यवस्था भी नहीं है। इतने साल से यहां से बसों का संचालन हो रहा है। इसके बाद भी यात्री सुविधा के कोई इंतजाम नहीं हैं। गोविंद बल्लभ, कालाढूंगी। मैदान के ग्रामीण क्षेत्रों को जाने के लिए यही एक मात्र सस्ता माध्यम है लेकिन इस स्टेशन का अस्तित्व ही खतरे में है। यात्रियों को सड़क पर खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। संतोष पांडे, कालाढूंगी। किसी काम से हल्द्वानी आये थे। यहां बस अड्डे पर बैठने तक के लिए स्थान नहीं है। यात्री सड़क पर खड़े रहने को मजबूर हैं। इस समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए। मो. आरिफ, बाजपुर। ठाकुरद्वारा से किसी काम से हल्द्वानी आए हैं। बाजपुर बस अड्डा कहां है पहले तो यह ढूंढने में समय लग गया। फिर बारिश में बैठने के लिए स्थान नहीं मिल सका है। इससे परेशानी हो रही है। शाहिद, काशीपुर हल्द्वानी आए थे, यहां बस अड्डा नहीं होने से बारिश में भीगने की मजबूरी है। यह कैसा बस अड्डा है समझ नहीं आ रहा है जहां यात्रियों के बैठने की सुविधा तक नहीं है। सुभान, सुल्तानपुरी। यहां खुले स्थान पर उमस और बारिश झेलने की मजबूरी है। अड्डे पर महिलाओं के लिए कोई बैठने का स्थान नहीं है। शौचालय और पेयजल जैसी कोई सुविधा नहीं है। नीमा मठपाल, रामनगर। सड़क पर खड़े-खड़े बस का इंतजार करना मुश्किल है। महिलाओं को तो सबसे अधिक दिक्कतें हो रही हैं। बारिश के बीच कभी किसी दुकान में या किसी दूसरे स्थान पर सहारा लेने को जूझ रही हूं। पूनम, कालाढूंगी। हम तो रोज ऐसे ही सड़क पर जूझते हैं। यह सिर्फ नाम का बस अड्डा है। यहां कहीं बैठने का स्थान भी नहीं है। यह सुविधा तो स्टेशन पर दी जानी चाहिए। यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। गीता, कब्डाल। सड़क से बसों का संचालन होना खतरे को खुद न्योता देना है। कभी भी हादसा हो सकता है। संचालन के लिए एक बस अड्डा बनाया जाए। बस अड्डा नहीं होने के कारण दिक्कतें हो रही हैं। रेखा, कालाढूंगी। यात्रियों के लिए स्टेशन की सुविधा नहीं है। हमें परेशानी हो रही है। हम समाधान चाहते हैं। हमें असुरक्षित महसूस होता है। पूनम, लामाचौड़। यहीं जॉब करते हैं। हर रोज आना-जाना होता है। रोडवेज की तर्ज पर स्टेशन बनाया जाए तो बेहतर है। ऐसे सड़क पर खड़े होकर बस का इंतजार करना हमारे लिए भी खतरनाक है। कृतिका, कालाढूंगी। दवा लेने जा रहे हैं। अक्सर यहां आना-जाना लगा रहता है। बस अड्डे पर बैठने की व्यवस्था हो तो काफी राहत मिल सकेगी। हम तो काफी देर बारिश में दुकानों के सहारे खड़े रहे। सुशीला, बाजपुर। पार्किंग के अंदर मात्र आठ मिनट का समय मिलता है। ऐसे में कभी सड़कें कीचड़ में भी फंस जाती हैं। हम गंदगी में कीचड़ से बसों को निकालकर संचालन को मजबूर हो रहे हैं। पप्पू, रामनगर। मैदानों को आने वाली बसों का संचालन करने की व्यवस्था अच्छी की जाए। संचालक पूरा टैक्स भरते हैं इसके बाद भी सुविधा नहीं मिल पाती है। बस का संचालन प्रभावित होता है। अमरीत सिंह, काशीपुर। पार्किंग है नहीं है। कहीं बैठने का स्थान भी नहीं है। बस सड़क पर चार मिनट ही रुकती है कुछ सामान लेना है या कोई जरूरी काम हो तो भी रुक नहीं सकते हैं। यात्रियों की सुविधा राम भरोसे है। उपासना, कालाढूंगी। बुजुर्गों के लिए कोई सुविधा नहीं है। हम तो परेशानी झेलने को मजबूर हैं। बैठने का स्थान नहीं है। शौचालय भी नहीं है। कहीं बैठने की तक व्यवस्था नहीं है। यात्री जूझने को मजबूर हैं। गोधन सिंह, रामनगर।
बोले जिम्मेदार
हमें संचालन के लिए स्टेशन की सुविधा नहीं मिल सकी हैं। कई बार पत्राचार हुए और कवायद हुई, लेकिन बाजपुर के लिए बस अड्डा नहीं मिला है। पार्किंग के लिए प्लॉट है लेकिन सड़क पर खड़ी कर बसों को भरने की मजबूरी है। स्टेशन मिल जाता तो यात्रियों को भी सुविधाएं दे पाते। -मोहन चंद्र, संचालक, रामनगर, बाजपुर और काशीपुर निजी बस अड्डा।
बसों के संचालन के लिए स्थान नहीं मिलने की समस्या सामने आई है। विभाग की ओर से मौके पर सर्वे किया जाएगा। इसके बाद सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में मूल सुविधाओं पर चर्चा कर समाधान खोजे जाएंगे। जिससे प्रॉपर बस अड्डा बनने तक यात्रियों और बस संचालकों को सुविधाएं मिल सकेंगी। सुनील शर्मा, आरटीओ प्रशासन, हल्द्वानी









