उत्तराखण्ड
उत्तराखंड के इस जिले में पंचायत तड़ाग में कुमाऊं को गढ़वाल के देवी देवताओं की गाथाएं
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम पंचायत तड़ाग मे जितू बगडवाल महोत्सव का कार्यक्रम कुमाऊं व गढ़वाल में देवी देवताओं व जितू बगडवाल व राजुला मालू शाही की गाथाएं हैं जो आज भी कुमाऊं गढ़वाल में लोग लोकला लोकगीत व लोकनृत्य के द्बारा अलग अलग अंदाज में करते आ रहे हैं।रजुला मालुशाही व जितू बगडवाल की कहानी आज की नहीं है । ये प्राचीन काल की है पौराणिक कहानी है। गढ़वाल के रियासत के गमरी पट्टी के बगोडी गांव पर जितू का आधिपत्य था। तांबे की खानों के साथ उसका कारोबार तिब्बत तक फैला हुआ था जितू अपनी बहन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल पहुंचता है,बहाना तो अपनी प्रेमिका भरणा से मिलने का था बहिन सोबनी की ननद जिसे जितू बगडवाल बहुत प्यार करते थे।जितू बगडवाल व भरणा के बीच में एक अटूट प्रेम प्यार था ्ये कहिए दोनों एक दूसरे के लिए बने थे जितू बांसुरी भी बहुत अच्छी बजाते थे एक दिन रैथल के जंगल में बांसुरी बजाने लगे रैथल जंगल खैट पर्वत में जिसके लिए कहा जाता है परिया निवास करती है।आज भी रुद्रप्रयाग के पर्वतीय क्षेत्रों में व टेहरी के रहने वाले लोकगायक जीतू बगडवाल की बांसुरी की पर मोहित होकर आंछरिया यानि परियां उन्हें अपने ले गई थी।इस लोक कथा पहाडी जनमानस पर इतना गहरा असर है आज भी लोगों को जितू बगडवाल की कहानी याद दिलाती है। रुद्रप्रयाग -छिनका गांव पोस्ट घौलतीर की सीमा गुसाई लोकगायिका हर साल जितू बगडवाल की गाथा जागर के जरिए अपनी लोकप्रियता से गाती रहती है।इस बार तीन सितंबर को सीमा गुसाई ने जितू बगडवाल की बांसुरी व गाथा तड़ाक ग्राम पंचायत रुद्रप्रयाग में किया । गढ़वाल में जितू बगडवाल को जितू बगडवाल के नाम से हर साल मनाया जाता है। रुद्रप्रयाग -छिनका ग्राम पंचायत घौलतीर की सीमा गुसाई लोकगायिका अपनी लोकप्रियता से जितू बगडवाल देवता के जागर गाते हुए इस इस जितू बगडवाल देवता का महोत्सव में हमेशा प्रतिभाग करती रहती है। सीमा गुसाई लोकगायिका जितू बगडवाल के साथ-साथ उतराखड के पौराणिक देवी देवताओं की गाथाएं गाती रहती है। सीमा गुसाई जैसी लोकगायिका की उजह से आज उतराखड के कुमाऊं व गढ़वाल में अनेक प्रकार की गाथाएं व जागर की जानकारी युवा पीढ़ी को मिल रही है। प्रताप सिंह नेगी समाजसेवी ने बताया सीमा गुसाई जितू बगडवाल देवता के साथ-साथ रजुला मालुशाही की गाथा भी जानती है। सीमा गुसाई लोकगायिका की तरह और भी बहुत मात्र शक्ति कुमाऊं गढ़वाल में है। लेकिन उनको आगे लाने के लिए व सहयोग करने के लिए कोई भी समर्थन नहीं करता इसलिए आगे नहीं आ पाती है।