उत्तराखण्ड
उद्यान विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुरू कर दी
उद्यान विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुरू कर दी है। सीबीआई ने सीबीसीआईडी से घोटाले से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। अब जल्द ही सीबीआई अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर सकती है।
उद्यान विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुरू कर दी है। सीबीआई ने सीबीसीआईडी से घोटाले से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। अब जल्द ही सीबीआई अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर सकती है।सीबीआइ की ओर से जांच शुरू करने के बाद से ही विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था।
हुआ करोड़ों का घोटाला
याचिकाओं में कहा गया था कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई हैं। विभाग ने एक ही दिन में वर्कआर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया है। इसलिए प्रकरण में वित्तीय व अन्य गड़बड़ी की सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जाए।
कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी जांच
इसके बाद उच्च न्यायालय, नैनीताल की ओर से 27 अक्टूबर को घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश पारित किए गए। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि जांच शुरू कर दी गई है। प्रकरण से जुड़े दस्तावेज सीबीसीआईडी से मांगे गए हैं।
उद्यान निदेशक को सरकार कर चुकी निलंबित
सुनवाई के दौरान ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर सरकार ने उद्यान निदेशक एचएस बावेजा को निलंबित कर दिया था। याचिका में बावेजा पर आरोप था कि एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया।
ऐसे किया गया घोटाला
जब उत्तरकाशी के किसानों ने इस घपले को जोरशोर से उठाया तो अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद करने का पत्र जारी कर दिया गया। फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के ही बांटे गए। इसके अलावा मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं, बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।