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यमुनोत्री पैदल मार्ग पर जाम, जोखिम और फिसलन, अपने रिस्क पर आएं यात्री
, उत्तरकाशी: हाईवे के साथ यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाला पैदल मार्ग पर भी तीर्थ यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ने से इस बार पैदल मार्ग पर जाम की स्थिति बनी हुई है और मार्ग पर घोड़ा-खच्चर व पालकी का संचालन गेट सिस्टम के तहत किया जा रहा है।मार्ग पर कई जगह फिसलन भी है, जिससे तीर्थयात्री फिसलकर चोटिल हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक 29 से अधिक तीर्थयात्री फिसलकर चोटिल हो चुके हैं।
छह किमी लंबा पैदल मार्ग कठिन होने के साथ जोखिमभरा भी
यमुनोत्री धाम जोड़ने वाला करीब छह किमी लंबा पैदल मार्ग कठिन होने के साथ जोखिमभरा भी है। जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले इस एकमात्र यात्रा मार्ग की रेख-देख का जिम्मा लोनिवि बड़कोट के पास है। जानकीचट्टी से करीब ढाई किमी की दूरी पर नौ कैची बैंड के पास वन विभाग का एक ट्रक है, जिसका उपयोग इन दिनों घोड़ा-खच्चर संचालन के लिए किया जा रहा है।
जबकि, घोड़ा-खच्चर संचालन के लिए यह मार्ग कतई उपयुक्त नहीं है। मार्ग पर खड़ी चढ़ाई और उतराई होने के साथ सीढ़ियों के स्टेप भी काफी ऊंचे हैं, जिससे उतराई में तीर्थ यात्रियों गिरने का खतरा बना हुआ है। मुख्य मार्ग पर तीर्थयात्री जाम और वन-वे सिस्टम से खासे परेशान हैं, लेकिन इससे अधिक परेशानी मार्ग पर फिसलन से हो रही है।
वर्षा व जल स्रोतों से आने वाले पानी की निकासी सही न होने के कारण मार्ग पर फिसलन हो रही है, जिससे आए दिन तीर्थयात्री फिसल रहे हैं। कीचड़ में तीर्थ यात्रियों के कपड़े व जूते भी खराब हो रहे हैं। घोड़ा-खच्चर भी कई बार फिसल चुके हैं।
जानकीचट्टी में दो घोड़ों की मौत
यमुनोत्री धाम की यात्रा के दौरान जानकीचट्टी के पास दो घोड़ों की मौत हुई है। यमुनोत्री मार्ग पर इस बार 3,000 से अधिक घोड़ा-खच्चर का संचालन हो रहा है। जिला पंचायत के अनुसार घोड़ा-खच्चर के लिए चार स्थानों पर गर्म पानी की व्यवस्था की गई है।
मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा. सतीश जोशी ने बताया कि पशुपालन विभाग की चौकी के निकट दो घोड़ा-खच्चर की मौत हुई है। दोनों अनफिट थे और उनका उपचार चल रहा था। बताया कि संचालन की उन्हीं घोड़ा-खच्चर को अनुमति दी जा रही है, जिनका मेडिकल फिटनेस है।
वैकल्पिक मार्ग पर नहीं है पानी की व्यवस्था
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर वर्ष 2022 में कोलिक (शूल), पानी की कमी, अत्याधिक ठंडा पानी पीने और अधिक कार्य लेने से 30 से अधिक घोड़ा-खच्चर की जान गई थी। इसके बाद जिला पंचायत ने पैदल मार्ग पर चार जगह गीजर लगाकर गर्मपानी की व्यवस्था की, लेकिन नौ कैंची से वन विभाग के ट्रेक पर पानी व्यवस्था नहीं की गई। जबकि यह ट्रेक खड़ी चढ़ाई वाला है और इससे घोड़ा-खच्चर का संचालन किया जा रहा है।
घोड़ा संचालक यशपाल पंवार ने कहा कि यमुनोत्री में घोड़ा पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। उन्हें रास्ते में ही खड़ा करना पड़ रहा है। जो वन विभाग का पैदल मार्ग है, वह बहुत खराब है। सीढ़ी के स्टेप बहुत ऊंचे हैं। घोड़ा-खच्चर के लिए पानी नहीं है और रास्ता संकरा होने के कारण उन्हें चलने में दिक्कत होती है। पशु चिकित्सकों के अनुसार भीड़ के कारण घोड़ा-खच्चर भी दबाव महसूस करते हैं