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कुमाऊँ

खटीमा क्षेत्र का नाम रोशन किया कवित्री बसन्ती ने,


उधम सिंह नगर जिले के खटीमा विकासखंड से 18 किलोमीटर दूर ग्राम सभा बिरिया गांव की निवासी 40 वर्षीय बसंती सामंत ने खटीमा क्षेत्र का नाम साहित्य लेखन तथा कवित्री की भूमिका में रोशन किया है। बसंती सामंत एक सामान्य ग्रहणी है। बसंती सामंत का एक छोटा सा परिवार है। इसके साथ-साथ बसंती सामंत को साहित्य के क्षेत्र में आज तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2020 में बसंती सामंत को काव्य प्रभा कवि विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा हिंदी दिवस पर अटल हिंदी सम्मान 2020 से भी नवाजा जा चुका है,और वर्ष 2021 में विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा उत्तराखंड नारी गौरव सम्मान से भी बसंती सामंत को सम्मानित किया जा चुका है और FSIA के द्वारा साल  2020 में The Real Super Woman का सम्मान भी बसंती सामंत को मिल चुका है।बसंती सामंत ने जिन कविताओं के कारण यह सम्मान मिला है।उनमें से एकल काव्य संग्रह,अधूरे अल्फाज, साझा काव्य संग्रह-सुने ऐ जिंदगी, काव्य प्रभा, लॉकडाउन व्यथा, प्रकाश धीन आदि कविताएं और संग्रह सम्मिलित है।
बंसती सामंत ने एक नई कविता हमारे न्यूज़ पोर्टल पर्वत प्रेरणा को भेजी है,जिसका शीर्षक है।                    

*“समय ही समय* “*  

समय ही समय है,
सोचने का, देखने का
बात करने का
पर क्या करें,
किसी के पास मन नहीं है।
तो किसी का मन नहीं है।
भाग दौड़ में लगे रहे
समय ही नहीं मिला
कि कुछ सोचे,
क्या करें मिलना तो चाहते हैं,
पर समय ही नहीं मिलता
खूब चला यह बहाना भी
अब मिलना चाहते हैं।
पर मिल नहीं सकते
यह भी एक मजबूरी है।
या यूं कहें कहना यह भी जरूरी है।
कोई सच में जानना चाहता है।
कैसे हो तुम
कोई सच में भूल जाना चाहता है।
की कौन  हो तुम
ना जाने कैसा यह समय है आया
चारों तरफ हाहाकार है छाया
किसी को फर्क नहीं पड़ता
तुम्हारे होने से
कोई बैचेन है तुम्हें खोने से
किसी के मन में
सच में तुम्हारे लिए दूरी है
किसी को बस कहने की ही मजबूरी है
कोई रोज आंकड़े बता रहे
तो कोई रोज आंकड़ों में समा रहे
कोई पल पल तुम्हारी खबर
ले रहा
कोई पल पल तुम्हें खबर दे रहा
कोई इन सब से अनजान है
कोई सुना रहे खुद का ही
फरमान है
कोई खुद में ही मस्त है
तो कोई हालातों से पस्त है
एक दूजे के लिए
ना मन में कोई रोष रहे
ध्यान रहे कल ना कोई
अफसोस रहे
दूरी को मजबूरी का नाम न देना
कल तुम फिर
कोई  नया इल्जाम ना देना
है वक्त चिंतन करने का
रिश्तो में  बढ़ती
खाई को तुम भर लो
अवसर दोबारा ना आएगा
जब कोई तुम्हें फिर बुलाएगा
एक फोन की दूरी पर है
कोई भूला फिर से मुस्कुराए
फोन आने पर तुम्हारे वह भी
खिल जायेगा
जीने का जज्बा उसमें फिर आ जायेगा
समय ही समय है
फिर से जुड़ जाने का।  
   
  रिपोर्टर:- गौरव शर्मा टनकपुर

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