उत्तराखण्ड
कुमाउनी कविता- “मै बाबों क तुम पराण छा”
कोशीश करला है जाल।
चै रौला रै जाल ।।
काम क्वे लै कठिन न्हैं।
कामै कि लिजी लगन चैं।।
मन जगाला जागि जाल।
ध्यान लगाला लागि जाल ।।
बस मन अर ध्यान एक चैं।
काम क परण नेक चैं।।
करि सकौ जो बखतै पन्यार।
मज्जल वैलै करै पार ।।
नय नय स्वैण देखण पड़ाल।
नय नय बाट ढुनण पड़ाल ।।
भरण पड़ैलि लंबी उड़ान।
फानण पड़ल ठुल तोफान।।
मिहनत कि भितेर जगाओ ललक।
तबै हात लागलि भलि सलक।।
उठो आब ठाड़ बादो कमर।
फिरि कां मिलैं य उमर।।
नानो ! तुम हमर देशाक तराण छा।
आपण मैं बाबोंक तुम पराण छा।।
–रतन सिंह किरमोलिया