उत्तराखण्ड
उत्तराखंड कांग्रेस में कम नहीं हुई सियासी जंग,अब मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर बयानबाजी
देहरादून। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कांग्रेस में सियासत शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ चुके नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान ने अभी मुख्यमंत्री चेहरा घोषित ही नहीं किया है। उनकी राय में चुनाव सामूहिक नेतृत्व में होना है और यदि पार्टी का कोई चेहरा है तो वह सोनिया-राहुल हैं। इधर उत्तराखंड कांग्रेस में ओहदों को लेकर चली आ रही सियासी जंग जैसे ही खत्म हुई, अब मुख्यमंत्री चेहरे पर सियासत शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपे जाने के बाद उनके समर्थक उन्हें विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश कर रहे हैं। जबकि दूसरे खेमे को अभी से यह हजम नहीं हो पा रहा है। उनकी राय में चुनाव सामूहिक नेतृत्व में होना है, यदि पार्टी का कोई चेहरा है तो वह सोनिया-राहुल हैं। चुनाव में पार्टी के चेहरे को लेकर को विरोधाभासी बयानों से साफ संकेत हो गए हैं कि कांग्रेस में अब चेहरे को लेकर अभी से सियासी जंग शुरू हो गई है।
प्रदेश कांग्रेस की कमान हाथ आने के बाद गणेश गोदियाल के बयानों में सहजता जरूर है। फिलहाल वह संतुलित रहना ही पसंद कर रहे हैं। वह अध्यक्ष बनने के बाद किसी खेमे से नाम जोड़े जाने पर एक ही प्रतिक्रिया करते है कि वे कांग्रेस के आदमी हैं। कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा को वे कुछ यूं बयान करते हैं कि मुझे राजनीति में सतपाल महाराज लाए। जब तक वह कांग्रेसी रहे, मैं उनका अनुयायी रहा। जब वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए तो मैं उनके साथ नहीं गया, मैं डॉ. हरक सिंह रावत के साथ रहा। लेकिन उनके साथ भाजपा में नहीं गया। मुझे इसी बात का आज इनाम मिला है। उन्होंने हरीश रावत को चेहरा बनाए जाने के सवाल पर कहा, चुनाव कंपेन कमेटी का अध्यक्ष उस चेहरे को बनाया जाता है, जिसकी प्रदेश में सबसे ज्यादा स्वीकार्यता हो। यानी एक तरह से गोदियाल ने भी हरीश रावत को चेहरा बनाए जाने के संकेत दे दिए हैं। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा इस बारे में फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
प्रदेश में सबसे ज्यादा हरीश रावत का चेहरा स्वीकार्य
धारचूला के विधायक हरीश धामी ने अपनी राय देते हुए कहा पार्टी में हरीश रावत के अनुभव व सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व को देखते उन्हें चेहरा बनाए जाने की सबसे अधिक मांग थी, रावत समर्थक धामी ने कहा सबकी मांग थी कि हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए, इसीलिए कांग्रेस हाईकमान ने इस पर मुहर लगा दी।
उन्होंने कहा प्रदेश की जनता हरीश रावत को फिर से मुख्यमंत्री देखना चाहती है। लेकिन धामी की राय से जुदा नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने साफ कर दिया कि पार्टी ने अभी कोई चेहरा ही घोषित नहीं किया। चुनाव में चेहरे को लेकर सहमति और असहमति की जो शुरुआत हुई है, ये कांग्रेस में एक तरह से नई सियासी जंग का आगाज हो चला है।
इधर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का मानना है कि जो कमेटी घोषित हुई है, उसमें कहीं नहीं लिखा है कि किसी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा। जब ऐसा नहीं है तो फिर अपनी तरफ से क्यों कयास लगाए जा रहे हैं। चेहरा सामूहिक होगा। चुनाव राहुल और सोनिया गांधी के चेहरे पर लड़ा जायेगा। कुलमिलाकर कांग्रेस खेमेबाजी में अभी भी कहीं से कहीं तक पीछे नहीं है, यह इससे भी स्पष्ट होता है कि हाल ही में बांटी गई जिम्मेदारियों के बाद, मिष्ठान वितरण व शुभकामनाओं का दौर भी अलग-अलग ढंग से मनाया गया।