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कुमाऊँ

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग को जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश

कहा ज़रूरत मंदों, पीड़ितों को भोजन, आवास व स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाय।

नैनीताल उच्च न्यायालय ने आज रैणी तपोवन में आई आपदा को लेकर दायर जनहित याचिका में ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंध विभाग को उनके द्वारा आपदा के बाद गठित कमेटियों को रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए।

सामाजिक कार्यकर्ता, उपपा अध्यक्ष पी.सी.तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंड पीठ ने याचिका की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी की मांग पर ज़रूरतमंद, प्रभावित परिवारों को भोजन, आवास एवं स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के भी आदेश दिए। मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को तय की हुई है।

चिपको आंदोलन को लेकर विश्वविख्यात हुए रैणी एवं तपोवन क्षेत्र में इस वर्ष 7 फरवरी को ऋषिगंगा में आई आपदा के कारण सैकड़ों लोगों को जीवन गंवाना पड़ा था। इस आपदा में रैणी क्षेत्र में एक विद्युत योजना में जिसका स्थानीय जनता विरोध कर रही थी, पूरी तरह तबाह हो गई थी जबकि तपोवन क्षेत्र और एनटीपीसी की निर्माणाधीन योजना को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस त्रासदी के बाद मौक़े पर याची और उनके साथियों की तथ्यान्वेषी टीम ने तमाम पीड़ित परिवारों, स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद इन परियोजनाओं में दुघर्टना की पूर्व सूचना की व्यवस्था ना होने, आपदा में बचाव की व्यवस्था न होने जैसे पर्यावरणीय स्थितियों को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पी. सी. तिवारी बनाम सरकार WP 67/2021 दायर की है। जिसमें केंद्र व राज्य सरकारों के साथ 11 प्रतिवादी बनाए गए हैं।

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उच्च न्यायालय में अब तक केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग को छोड़ कर सभी प्रतिवादियों ने अपने जवाब प्रस्तुत कर दिए हैं। याची की ओर से खंड पीठ में पैरवी कर रही एडवोकेट स्निग्धा तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा अब तक दुर्घटना में मारे गए अनेक परिवारों को राहत राशि नहीं दी गई है और प्रवासी नेपाली श्रमिकों की भारी अपेक्षा की गई है। न्यायालय ने इन स्थितियों का सम्मन लेते हुए ज़रूरी आदेश पारित करते हुए अगली सुनवाई के लिए 8 सितंबर की तिथि नियत की है।

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