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कल मनाया जाएगा बसंत पंचमी त्योहार

कल 14फरवरी 2गते फाल्गुन को बसंत पंचमी त्यौहार मनाया जायेगा। बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष पांचवें तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।इस साल 14फरवरी बुधवार को बसंत पंचमी त्यौहार मनाया जायेगा। बसंत पंचमी त्यौहार के दिन उत्तराखंड के कुमाऊं में बसंत पंचमी त्यौहार को मनाने की प्रथा एक अलग ही पहचान है।यह त्यौहार माघ के शुक्ल पक्ष के पांचवें तिथि को होता है इसलिए उत्तराखंड देवभूमि में सिर पंचमी व पंचमी त्यौहार से भी जाना जाता है। कुमाऊं में बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले स्नान करके देवी देवताओं व मां सरस्वती की पूजा की जाती है।

अपने खेतों से चौ की पत्तियों को लाकर घर में इष्ट देव के मंदिर व देवी-देवताओं के मंदिर में चढ़ा कर।घर के माता-पिता चाची चाचा ताई ताऊ बड़े भाई भाभी आदि ये जौं के पत्ते अपने बच्चों के सिर पर रखते हैं। फिर इन बच्चों को आशीर्वाद दिया जाता है। ( जिइ रया जागि रया,यौ दिन यौ मास भियटनें रया। दुब जै हुंगरिया पाति जै पुंगरिया । एक कि,एकास पाचैंकि पचास है जो।) बसंत पंचमी के दिन एक बहिन अपने भाई को जौ के पत्ते सिर में चढ़ाकर मां सरस्वती से अपने भाई की दीर्घ आयु व सुखी संपन्न रखने दुवाइये करती है। भाई अपनी बहनों को स्वेच्छा से दक्षिणा देते हैं। कुमाऊं के अल्मोड़ा, बागेश्वर पिथौरागढ़, चंपावत में आज भी अपने देवालयों व घर गेटों में गाय के गोबर के साथ जौं के पत्ते चिपकाने की प्रथा है। आइये आगे बताते चलें बसंती पंचमी के त्यौहार के दिन पीला वस्त्र धारण करके पूजा करने की प्रथा आज भी अगर पीला वस्त्र नहीं बन पाता है तो पीला रुमाल तब भी बनाया जाता है। कहा जाता है बसंत पंचमी के दिन से कुमाऊं में बैठक होली का शुभारंभ होता है अलग-अलग जगहों पर बसंती पंचमी से बैठक होली हुआ करती थी। बसंत ञतु का, शुभारंभ हो जाता है खेतों में सरसों के पीले फूल, गेहूं,जौ की बाली निकलने शुरू हो जाती है जगह-जगह पर पीले फूल खिलते रहते हैं। 👏 प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जैसे जैसे अन्य तिथि त्यौहारो में गिरावट आ रही है ऐसे ही बसंत पंचमी त्यौहार के बिधि बिधान में भी गिरावट आ रही है।

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