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उत्तराखण्ड

वैज्ञानिकों ने बताया कुमाऊं में आपदा आने का कारण

भारी बारिश की वजह से प्रदेश में आज आयी आपदा को लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ा खुलासा किया है। इस बारिश के दौरान खासकर कुमाऊं क्षेत्र को भयावह आपदा का सामना करना पड़ा। अब वैज्ञानिकों ने इसकी वजह बताई है, साथ ही भविष्य में ऐसी तबाही न हो इसके लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। वैज्ञानिक ने कुमाऊं मंडल में आई भयावह आपदा का कारण इस क्षेत्र के नजदीक स्थित चीन और तिब्बत के पठारों को बताया है।

वैज्ञानिकों के अनुसार कुमाऊं मंडल में चीन सीमा और तिब्बत के पठार में हॉट और कोल्ड वेब का वेब फ्रंट हमेशा बनता है। पिछले दिनों इसके साथ-साथ वेस्टर्न डिस्टरबेंस, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कम वायु का दबाव बनना इस क्षेत्र में भारी तबाही की वजह बना।गढ़वाल विवि के भौतिक वैज्ञानिक और भारतीय मौसम पर लंबे अरसे से शोध कार्य कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक आलोक सागर गौतम का कहना है कि सरकार ने कुमाऊं रीजन में अलर्ट को देरी से सर्कुलेट किया। जिसके कारण इस क्षेत्र में नुकसान अधिक हुआ। गढ़वाल में चारधाम यात्रा के मद्देनजर अलर्ट को जल्दी सर्कुलेट किया गया, जिससे गढ़वाल में नुकसान कम हुआ।

उत्तर भारत में बर्फबारी और बारिश के लिए सबसे बड़ा कारण दक्षिण पश्चिमी विक्षोभ रहता है। जिसको इस समय अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मानसून का साथ मिला। इसी वजह से केरल के साथ-साथ उत्तराखंड में तेज बारिश देखने को मिली। भौतिक विज्ञानी आलोक सागर गौतम के अनुसार प्रदेश के सभी जनपदों में छोटे मौसम केंद्रों की स्थापना करके ऐसी भयावह दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। उन्होंने हाल में आई आपदा को राज्य सरकार के लिए सबक बताया है।

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