कुमाऊँ
वह ई रिक्शा चलाकर पालती है परिवार
हल्द्वानी । दो वक्त की रोटी के लिए इंसान क्या नहीं करता है ,कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्होंने इतना कमा लिया उनकी पीढ़ियां खर्च नहीं कर पायेंगी। कुछ कमाने के लिए संघर्ष ही कर रहे हैं। मकसद हर किसी का लगभग एक सा है। खूब धन दौलत हो, सुख सुविधाएं हों और नाम भी, इसी में जीवन चला जाता है।
यहां कुछ ऐसे भी गरीब तबके के लोग हैं जो आज भी जीवन जीने के लिए संघर्ष करते हुए देखे जाते हैं। आजकल आदमी कम महिलाएं ज्यादा संघर्ष, मेहनत करती हुई देखी जा सकती हैं। हल्द्वानी शहर में इन दिनों कई महिलाएं ऑटो, ई रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी जुटाकर परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। ऐसे मेहनती महिलाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। पीलीभीत उत्तर प्रदेश से यहां आयी एक महिला दिन रात ई-रिक्शा चलाती है और इसी से उसके घर की गुजर बसर होती है। महिला ने बड़े ही अंदाज में कहा मेहनत करने वालों के पास शर्म नाम की चीज नहीं होती। शर्म तो चोरी व गलत काम करने वालों के पास रहती है।

















																						








									



