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उत्तराखण्ड

ऑल सेंट्स कॉलेज के छात्राओं ने लद्दाख लेह में 17688 फीट की ऊंचाई पर लहराया परचम

रिपोर्टर- भुवन ठठोला

नैनीताल। सुप्रसिद्ध विद्यालय ऑल सेंट्स कॉलेज में पांच छात्राओं का दल लद्दाख, लेह से सफलतापूर्वक क्रियामूलक ज्ञान प्राप्त कर वापस लौट आया है। विद्यालय पहुंचकर इन सभी छात्राओं ने इस अद्भुत अनुभव को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए प्रधानाचार्या श्रीमती किरन जरमाया को धन्यवाद ज्ञापित किया। राउंड स्क्वायर संस्था के सर्विस उपक्रम के तत्वाधान में ऑल सेंट्स कॉलेज के कक्षा 11 की पांच छात्राएं शिक्षिका सीमा ठुलघरिया के साथ 12 अगस्त को लेह के लिए रवाना हुईं थी।

छात्राओं ने लेह में स्थित जरूरतमंद बच्चों के लिए बने जैम यॉन्ग विद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल में स्वयं ही टॉयलेट का निर्माण कर उसकी रंगाई पुताई भी की। साथ ही इन छात्राओं ने लेह स्थित शुचकुल मोनेस्ट्री में सोलर पैनल लगवाकर यहां रह रहे बच्चों व साधुओं को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा देने में अपना योगदान दिया। छात्राओं ने यहाँ के बच्चों के साथ पर्यावरण संरक्षण पर विचार विमर्श किया और मोनेस्ट्री में जीवनयापन कर रहे साधुओं की जीवनशैली से भी परिचित हुईं। छात्राओं ने टांसे मोनेस्ट्री का भ्रमण भी किया और यहां की दीवारों पर बनें पुरातात्विक चित्रों का विश्लेषण कर अपने देश के इस ऐतिहासिक पक्ष से रूबरू हुईं व तेरहवीं सदी में बने इन चित्रों के बारे में ज्ञान प्राप्त किया।

इस दौरान इन सभी छात्राओं ने 160 के मी लंबी पांगोंग लेक की सैर की और देश के इस भाग की भौगोलिक पारिस्थितिकी के बारे में जाना। छात्राओं ने रिहांग ला दर्रे पर स्थित अहीर धाम के दर्शन किए और इस स्थल के इतिहास के बारे में जाना। इस स्थल पर छात्राओं ने 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के अनेक पहलुओं के बारे में ज्ञान बटोरा। यहां पर छात्राओं ने न केवल मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर शैतान सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की अपितु युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं रेजिमेंट की एक टुकड़ी के उन सभी 114 जवानों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जो इस स्थल पर दुश्मनों के 1300 जवानों को मारने के पश्चात वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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छात्राओं ने यहां रह रहे भारतीय सैनिकों से वार्तालाप भी किया और न केवल उनकी विषम परिस्थितियों से रूबरू हुई। बल्कि उन्हें उनके इस समर्पण के लिए धन्यवाद भी ज्ञापित किया। साथ ही वह भी सेना के जवानों के जैसे दृढ़ निश्चयी बनने को प्रेरित हुई। छात्राओं ने उत्साह से ओतप्रोत हो समुद्र तल से 17688 फीट ऊंचाई पर स्थित चांग ला दर्रे पर अपने विद्यालय का ध्वज भी लहराया। कार्यक्रम के माध्यम से इन छात्राओं ने जहां एक ओर लेह में रह रहे लोगों के रहन सहन, उनकी संस्कृति व आजीविका का अध्ययन किया तो वहीं दूसरी ओर उन्हें उच्च स्तर के सामाजिक ज्ञान, जागरूकता और सांस्कृतिक विविधता के लिए स्वीकृति को सीखने का अवसर मिला जिससे न केवल उनके ज्ञान में वृद्धि हुई बल्कि उनके आत्मविश्वास का भी विकास हुआ।

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