उत्तराखण्ड
हॉकी स्टार वंदना कटारिया का भव्य स्वागत, अपने बचपन के संघर्षों और गरीबी के दिन नहीं भूली वंदना
हरिद्वार । टोक्यो ओलंपिक में अपना जलवा बिखेरने के बाद हॉकी स्टार और हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया इन दिनों बेहद चर्चा में आ रखी हैं। टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के हरिद्वार पहुंचने पर जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। टोक्यो ओलंपिक्स में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद सभी लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। उनके पास लोग लगातार शुभकामनाएं देने पहुंच रहे हैं मगर वंदना कटारिया ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए किन मुसीबतों का सामना किया है इसपर कोई बात नहीं करना चाहता है। हालांकि वंदना अपने गरीबी और संघर्षों के दिनों को नहीं भूली हैं। उनका कहना है कि उनको बेहद अभाव में अपना बचपन गुजारना पड़ा।
हॉकी खेलने के शुरुआती दिनों में भी उनके पास सुख-सुविधाओं का अभाव था। खेल की तैयारी करने के दौरान गरीबी उनकी सबसे बड़ी बाधा बनी।वंदना कटारिया ने कहा कि अधिकांश खिलाड़ी गरीब परिवार से आते हैं, ऐसे में खेलों की तैयारी करने में गरीबी सबसे बड़ी बाधा बनती है। तैयारी के वक्त न जरूरी सुविधाओं मिलती हैं और न ही सरकार की तरफ से इतना सपोर्ट मिलता है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों के संघर्ष के बाद उनको यह खिताब मिला है। वे अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताती है कि 2004 में वे अपनी बहन रीना कटारिया के साथ जब हॉकी प्रैक्टिस करती थीं तब उनके पास बस 1 जोड़ी जूते हुआ करते थे और दोनों बहनें एक-एक करके हॉकी प्रैक्टिस किया करती थीं।
उन्होंने बताया कि सरकार को सभी खिलाड़ियों के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए ताकि कोई भी खिलाड़ी संसाधनों के अभाव में प्रैक्टिस न करे। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता को अपना गुरु माना है क्योंकि प्रैक्टिस के दिनों में उनके पिता ने उनको पूरा स्पोर्ट दिया है। वे बताती हैं कि टोक्यो ओलंपिक्स के शुरुआती 3 मैचों में वे पूरी तरह से टूट गई थीं मगर सभी के साथ ने उनके और उनकी टीम के अंदर सकारात्मकता का संचार किया और इसी सकारात्मकता ने उनको सेमीफाइनल्स तक पहुंचाने में मदद की। उन्होंने कहा कि अब आगामी समय में उनको कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और वर्ल्ड कप की तैयार करनी है।