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उत्तराखण्ड

इस झील का जलस्तर हुआ कम, उमड़ आया यादों का समंदर, दिखने लगी राज महल और इमारतें

टिहरी। गढ़वाल मंडल का टिहरी सदियों से इतिहास समेटे हुए हैं। पुरानी टिहरी भले ही जलमग्न हो चुकी है मगर इससे जुड़ी यादें लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा हैं जो कभी नहीं मिट सकतीं। भीषण गर्मी से टिहरी झील का जलस्तर कम होते ही यादों का समंदर उमड़ पड़ा। हर वर्ष भीषण गर्मी में झील का जलस्तर कम हो जाता है और पानी कम होते ही इसमें से पुरानी टिहरी की इमारतें, राजमहल दिखने लगे हैं। टिहरी डैम निर्माण के लिए अपना घर बार छोड़ने वाले पुरानी टिहरी के विस्थापित इन्हें देखकर भावुक हो गए हैं।

टिहरी का राजमहल महज एक इमारत नहीं बल्कि शहर की धरोहर थी। टिहरी डैम बनने के बाद राजमहल समेत पुरानी टिहरी बांध की झील में समा गए हैं मगर इनका अस्तित्व मिटा नहीं है। अब भी झील का जलस्तर कम होने पर यह महल दिख जाता है और बुजुर्गों के जख्मों को हरा कर देता है। राजमहल दिखने पर मानों पुरानी टिहरी के लोगों के सामने उसी पुराने शहर की तस्वीर आंखों के सामने तैरने लगती है जो शहर जलमग्न हो गया है।कभी गढ़वाल की राजशाही का केंद्र रहा यह ऐतिहासिक शहर अब केवल लोगों की यादों में जिंदा है। सदियों का इतिहास खुद में समेटे पुरानी टिहरी की यादें अब लोगों भी लोगों की आंखें नम कर देती हैं। टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी झील में समा गई मगर इसकी निशानियां आज भी झील का स्तर कम होने पर लोगों को उस ऐतिहासिक शहर की याद दिलाती है जहां उनका अस्तित्व था, है और हमेशा रहेगा।

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इन दिनों डैम का स्तर कम हो गया है जिससे राजमहल दिखने लगा है। पुरानी टिहरी का राजमहल देखने के लिए लोगों की भीड़ लगने लगी है। राजमहल दिखने पर पुरानी टिहरी के लोग भावुक हो गए हैं। बुजुर्गों का कहना है कि पुरानी टिहरी स्वर्ग थी, जो झील में गुम हो गई है। टिहरी झील का न्यूनतम स्तर 740 मीटर आरएल पहुंचने से पुरानी टिहरी का राजमहल दिखने लगता है।पुरानी टिहरी शहर को त्रिहरी के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर अपनी गोद में लिए इस शहर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। मान्यता तो यह भी है कि इसी शहर में ब्रह्ना, विष्णु और महेश स्नान के लिए आते थे। 29 अक्टूबर 2005 को डैम के कारण शहर में पानी भरना शुरू हुआ तो यहां रह रहे तकरीबन 100 परिवारों को मजबूरन शहर छोड़ कर आसपास के शहरों में बसना पड़ा। भले ही टिहरी उनसे दूर हो गया है मगर उसकी यादें धुंधली नहीं हुई हैं। आज भी झील में पुरानी टिहरी की यादें मौजूद हैं जिनसे लोगों का गहरा जुड़ाव है।

राजमहल के अवशेष देख कर पुरानी टिहरी के लोग भाव-विभोर हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब टिहरी झील का पानी कम होता है तो जिला प्रशासन को राजमहल को देखने के लिए नाव लगानी चाहिए जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले।

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