उत्तराखण्ड
उत्तर प्रदेश पुलिस को ग्रामीणों के विरोध का करना पड़ा सामना, घबराकर लौटी
काशीपुर। यूपी पुलिस एक आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए काशीपुर आई हुई थी औऱ पुलिस ने आरोपी को पकड़ भी लिया था लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस को घेर लिया और जमकर विरोध किया। जिसके बाद यूपी पुलिस घबरा गई औऱ बिना आऱोपी को गिरफ्तार किए लौटना पड़ा। स्थानीय आईटीआई पुलिस ने यूपी पुलिस को गांव से सकुशल निकाला।
मिली जानकारी के अनुसार मामला काशीपुर के आईटीआई थाना क्षेत्र के दभौरा मुस्तकम गांव का है जहां का रहने वाला मुनाजिर पुत्र अमजद अली ने गत फरवरी को आईटीआई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि उसके भतीजे आरिफ पुत्र नजर हुसैन के साथ ग्राम परमानंदपुर निवासी नईम पुत्र मो.उमर, यूपी के ग्राम घोसीपुरा निवासी मोनू पुत्र मो.उमर मारपीट कर रहे थे। जब उसने रोकने की कोशिश की तो उनको गाली दी। इसके बाद उसका भाई लियाकत वहां पहुंचा।यहां नईम ने फोन कर अपने घोसीपुरा निवासी अन्य साथी नवाब, गुड्डू, मोनू और अजीम को बुलाया।
नईम के साथियों ने उसके और भाई लियाकत को गाड़ी से कुचलने की कोशिश की। जिसकी शिकायत आईटीआई थाना पुलिस ने को की गई।दूसरी तरफ घोसीपुरा निवासी नईम पुत्र मो.उमर ने भी यूपी के स्वार थाने में ग्राम परमादंपुर निवासी जमशेद, इरफान, जीशान, इमरान के खिलाफ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी मामले में मंगलवार देर रात स्वार पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर यहां दबिश दी। यूपी पुलिस के गांव में पहुंचते ही ग्रामीण इकट्ठा हो गए। ग्रामीणों ने पुलिस से वारंट दिखाने के लिए कहा। पुलिस वारंट नहीं दिखा पाई तो गांव वालों ने तीन जवानों को घेर लिया।हंगामा बढ़ता देख पुलिस को आऱोपी को छोड़ना पड़ा। इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर आईटीआई पुलिस पहुंची और यूपी पुलिस के जवानों को वहां से सुरक्षित निकाला। आईटीआई थाने में मुदकमा दर्ज है। दूसरे पक्ष ने यूपी के स्वार थाने में क्रॉस मुकदमा दर्ज कराया था।
इसी मामले में स्वार पुलिस बिना सूचना और वारंट के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आई थी। लेकिन गांव वालों ने पुलिस का विरोध किया। यूपी पुलिस वापस चली गई।आपको बता दें कि 5 फरवरी को सड़क हादसे के मामले में आईटीआई थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।इसमें एक आरोपी ने 7 फरवरी की घटना दिखाकर यूपी के स्वार थाने में क्रॉस केस दर्ज कराया है। दबिश देने आई यूपी पुलिस ने स्थानीय पुलिस को कोई सूचना नहीं दी थी। बिना वारंट के आने पर ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था।