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उत्तराखण्ड

यू पी से परिसम्पत्तियों का बंटवारा न होने का खामियाजा भुगत रहा उत्तराखंड परिवहन निगम:चौधरी

टनकपुर। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड रोडवेज में कर्मचारियों के लंबित वेतन भुगतान एवं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से संपत्तियों के बंटवारे तथा कर्मचारियों की अन्य समस्याओं के समाधान हेतु कर्मचारी यूनियन द्वारा जुलाई 2019 में एक रिट याचिका संख्या 82 डब्लू पी पी आई एल 2019 आयोजित की गई। श्री चौधरी ने कहा यू पी से परिसम्पत्तियों का बंटवारा न होने का खामियाजा भुगत रहा आज उत्तराखंड परिवहन निगम। उन्होंने बताया उपरोक्त याचिका में अब तक 54 सुनवाई हो चुकी हैं। तथा लगभग 40 अंतरिम आदेश अलग-अलग दिनांक में हुए हैं। तथा इसी याचिका के कारण शासन से पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 178 करोड रुपए शासन द्वारा परिवहन निगम को भुगतान किए गए, जिसे निगम कर्मचारियों को वेतन प्राप्त हो सका है।

श्री चौधरी ने कहा आप कल्पना कर सकते हैं, कि यदि कर्मचारी यूनियन वेतन भुगतान के लिए उपरोक्त सार्थक प्रयास नहीं करती तो कितने माह का वेतन आज तक लंबित होता, इसके अतिरिक्त देहरादून में हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की भूमि जिसको उत्तराखंड शासन के द्वारा मात्र 200000000 रुपये में ही ले लिया गया था।उसको भी बचाया गया एवं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से परिसंपत्तियों के बंटवारे की मद में प्रथम किस्त के रूप में 280000000 रुपये की धनराशि भुगतान कराए जाने के आदेश भी पारित कराए गए, जिस पर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया गया है। जिस कारण उक्त प्रथम किस्त का भुगतान नहीं हो सका है। जिस पर अब कर्मचारी यूनियन माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में पैरवी कर रही है। उक्त याचिका में कल माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में एक नंबर पर कर्मचारी यूनियन की याचिका लगी है।

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माननीय न्यायालय द्वारा प्रबंध निदेशक महोदय को वर्चुअल पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। विडंबना यह है,कि एक यूनियन के कुछ पदाधिकारी जो कर्मचारी यूनियन के न्यायिक प्रयासों का हमेशा विरोध करते थे तथा परिवहन निगम के कर्मचारियों को भ्रमित करते थे उनके द्वारा भी कर्मचारी यूनियन की समिति के पक्ष में किए गए माननीय न्यायालय के आदेश की प्रति के साथ प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया है। कि हमारी समिति के लिए भी कर्मचारी यूनियन की समिति की भांति ही 10000000 रुपए प्रतिमाह भुगतान के आदेश किए जाएं आप कल की लिस्ट देखेंगे तो कर्मचारी यूनियन की याचिका एक नंबर पर लगी है। तथा उसके नीचे उसी यूनियन की प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई लगी है।

उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर सुनवाई अनेकों बार लग चुकी है, परंतु उक्त यूनियन को सफलता नहीं मिली है, कल माननीय न्यायालय के निर्देश को भी उन्होंने अपनी याचिका पर होना बताया तथा एक बार फिर रोडवेज के कर्मचारियों को झूठ बोल कर भ्रमित करने का प्रयास किया गया। मेरे द्वारा इस मैसेज के साथ माननीय न्यायालय के कल के आदेश, प्रबंध निदेशक द्वारा आज दिनांक को माननीय न्यायालय में प्रस्तुत एफिडेविट एवं कल की न्यायालय की लिस्ट इस आशा से प्रस्तुत है। कि किस प्रकार एक यूनियन बार-बार कर्मचारियों को भ्रमित करके परिवहन निगम एवं उसके कर्मचारियों का अहित कर रही है। जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। और मैं इसकी निंदा करता हूं।

संवाददाता:-गौरव शर्मा टनकपुर

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