उत्तराखण्ड
नैनीताल : वादों में सिमट गया विकास, बुजुर्ग को डोली में लादकर अस्पताल पहुंचाया
नैनीताल जिले के कुछ गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। चुनावों के वक्त नेताओं के वादे खूब गूंजते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि विकास अब भी सिर्फ भाषणों तक सीमित है। जिले से महज कुछ किलोमीटर दूर बसे सौलिया और तल्ला कूंड गांव इसका जिंदा उदाहरण हैं। यहां के लोगों को आज भी पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है। हालत ये है कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे डोली या खाट के सहारे तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है।
ऐसा ही कुछ मंगलवार को हुआ, जब गांव के एक बुजुर्ग की तबीयत अचानक बिगड़ गई। अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई साधन नहीं था, बारिश ने कच्चे रास्तों को और बदतर बना दिया था। ऐसे में ग्रामीणों ने डोली का सहारा लिया और किसी तरह उन्हें तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाया गया। जहां से फिर वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया।
गांव तक पहुंचने वाला एकमात्र रास्ता कच्चा है, जो लगातार हो रही बारिश के चलते बेहद खराब हालत में पहुंच चुका है। फिसलन और कीचड़ के कारण चलना भी मुश्किल हो गया है। ग्रामीण कई सालों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
कुछ समय पहले इसी गांव के लोगों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार भी किया था। उनका कहना था कि सरकारें बदलती रहीं, नेता आते-जाते रहे, लेकिन गांव में कोई बदलाव नहीं आया। जब जिलाधिकारी को इस बहिष्कार की जानकारी मिली, तो उन्होंने एसडीएम को मौके पर भेजा। जांच के बाद ग्रामीणों को भरोसा दिलाया गया कि चुनाव समाप्त होने के बाद सड़क की समस्या को प्राथमिकता से हल किया जाएगा।
अब सवाल यह है कि कब तक ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन मिलते रहेंगे? कब तक बीमारों को कंधों पर ढोया जाएगा? और कब जाकर विकास वाकई इन गांवों तक पहुंचेगा?



