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उत्तराखण्ड

लोक सभा चुनाव के बीच ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का लिया संकल्प

अल्मोड़ा। विकास खंड भैसियाछाना के पतलचौरा गांव में अनेकों समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। 70 वर्षीय तिलराम को रात्रि में डेढ़ बजे तबियत खराब हो गई। उनकी हालत गंभीर होने से परिजन उन्हें प्रातः 6 बजे जैसे तैसे डोली के सहारे कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल लाये ।क़नारीछीना अस्पताल भवन न होने के कारण यहां पर डाक्टरों का अभाव है। फिर तिलराम को सेराघाट भैसियाछाना प्राथमिक अस्पताल ले गए।

पतलचौरा रीम,चिमचुवा,पिपलखेत,के ग्रामीणों को अपने बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे कनारीछीना ले जाना पड़ता है और कनारीछीना में अस्पताल भवन न होने के कारण फिर 12 किलोमिटर सेराघाट भैसियाछाना प्राथमिक अस्पताल ले जाने में दिक्कतों का समाना करना पड़ता है।

उतराखड पृथक राज्य बनने के बाद भी पतलचौरा अनुसूचित जाति के बाहुल्य गांव में सड़क तो दूर की बात सरकार रास्ते बनाना तक भूल गई। उत्तराखंड सरकार के बड़े बड़े वादे व सबका विकास सबका साथ की बातें ये सड़क मार्ग की हालत को देखकर पता चलता है।

प्रताप सिंह नेगी रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने बताया कनारीछीना में अस्पताल भवन निर्माण कार्य डेढ साल से बंद इधर सड़क मार्ग के लिए शासन प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। गांव रीम, पतलचौरा,पिपल खेत,व कनारीछीना के लोगों ने स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के अभाव व बिमार लोगों को सड़क के अभाव से डोली से ले जाने उत्तराखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया।इस लोकसभा चुनाव में इन गांवों के लोगों रोड नहीं तो वोट नहीं का संकल्प बना लिया।

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