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उत्तराखंड में आखिर क्यों हेली सेवा बन रही यात्रियों के लिए खतरा! खड़े हो रहे गंभीर सवाल
उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को गति देने के लिए शुरू की गईं हेली सेवाएं यात्रियों के लिए खतरे का सबब भी बन रही हैं। हल्द्वानी, चम्पावत और अल्मोड़ा हेलीपोर्ट के आसपास बने कूड़ा डंपिंग जोन से उठते चील-कौवों के झुंड हेलीकॉप्टर की उड़ान और लैंडिंग के दौरान पायलटों के पसीने छुड़ा रहे हैं। हल्द्वानी हेलीपोर्ट की दीवार से सटे पेड़ों में छिपे बिजली के हाईटेंशन तार और उड़ते ड्रोन ने भी हवाई सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कुमाऊं मंडल के 14 सर्किट में हेली सेवा दे रही है। कंपनी के उच्चाधिकारी का दावा है कि कई बार शासन और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इस खतरे की ओर ध्यान दिला चुके हैं, बावजूद इसके, हेलीपोर्ट को नो फ्लाई जोन घोषित करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।हेलीपोर्ट के ऊपर से ड्रोन भी उड़ा कुमाऊं मंडल में कंपनी रोजाना करीब 150 यात्रियों को सफर करा रही है। कंपनी की उड़ानें एयरबस के सात-सीटर टी-2 और छह सीटर बी-3 हेलीकॉप्टर से संचालित होती हैं। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक हल्द्वानी के हेलीपोर्ट के पास हाल ही में एक ड्रोन उड़ने के कारण टेकऑफ में बाथा आई थी। कंपनी के सुरक्षा एवं तकनीकी जानकारों का कहना है कि कूड़ाघर के ऊपर उड़ने वाले पक्षी, पतंगे और ड्रोन उड़ान पथ में बाधाएं पैदा करते हैं।
हाल में हुए हादसे
15 जून को केदारनाथ-गुप्तकाशी रूट पर हेलीकॉप्टर क्रैश, 7 मौतें।
8 मई को उत्तरकाशी में रोटर के केबल से टकराने पर 6 की मौत।
ये हैं जरूरी मानक
हेलीपोर्ट से 5-8 किमी दायरे को निषिद्ध उड़ान क्षेत्र घोषित करना।
इस दायरे में ड्रोन, पतंग, चील-कौवे, तारें या कूड़ाघर नहीं हो।
लैंडिंग एरिया के चारों ओर कोई खंभा, पेड़ या इमारत नहीं हो।
आधुनिक रडार, अलर्ट सिस्टम और मौसम ट्रैकिंग सेंसर की स्थापना।
हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के बेस मैनेजर रवींद्र सिंह का कहना है कि हेलीपोर्ट के ऊपर नो फ्लाइंग जोन बनाने को पूर्व में जिला प्रशासन को पत्र लिखा था। सबसे अधिक दिक्कत हल्द्वानी, चम्पावत और अल्मोड़ा के आसपास आ रही है, जहां हेलीपोर्ट के आसपास कूड़ा डंप होने के कारण चील-कौवे टेक ऑफ और लैडिंग के वक्त परेशानी पैदा कर रहे हैं।
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा कि इस मामले को पूरी गंभीर से जांचा जाएगा। हेली कंपनी के उच्चाधिकारियों और तीन जिलों के डीएम ने बात कर जल्द उचित समाधान निकाला जाएगा।





