उत्तराखण्ड
आजादी के 75 साल बाद भी कई प्राचीन मंदिरों व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तक नहीं पहुंच पाई सड़क, ग्रामीणों में सरकार के प्रति आक्रोश,पढ़ें पूरी रिपोर्ट…
संवाददाता – शंकर फुलारा
भीमताल। नैनीताल जिले का सबसे दूरस्थ ब्लॉक ओखलकांडा कई मायने में विकास से पिछड़ा हुआ है यहां पर कई प्राचीन और एकमात्र मंदिर विराजमान हैं। कौडार ग्रामसभा से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर देवगुरु बृहस्पति महाराज का मंदिर स्थापित है।
बृहस्पति महाराज का मंदिर बर्फबारी के टाइम पर बर्फ से ढका रहता है। और इसका मनमोहक दृश्य लोगों को आकर्षित करता है। बृहस्पति महाराज के मंदिर तक सड़क पहुंची होती तो अवश्य ही यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता और स्थानीय ग्रामीणों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा होते।बर्फबारी के बाद देव गुरु बृहस्पति महाराज के मंदिर का दृश्य।
पशुपति मंदिर से 20/25 किमी की दूरी पर लोहाखाम ताल और हरीशताल स्थित हैं यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार चाहे तो बृहस्पति महाराज के मंदिर पशुपति नाथ मंदिर और लोहाखाम ताल हरीशताल के विकास पर ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्य करें तो इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
हरीशताल और लोहाखाम ताल दोनों तालों के बीच की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है लोहाखाम मंदिर में त्योहारों पर पूजा की जाती है व मेला का भी आयोजन किया जाता है। वही हरीश ताल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
सरकारें चाहें तो ठोस कार्ययोजना बनाकर पर्यटन सीजन में नैनीताल से पर्यटकों का दबाव कम किया जा सकता है। पर्यटक इस शांत और जंगल के मध्य स्थित इन झीलों का दीदार कर सकें जिससे कि यहां अधिक से अधिक पर्यटक आकर्षित हो सकें।
लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी किसी भी सरकारों ने और ना ही यहां के जनप्रतिनिधियों ने इन मंदिरों तक सड़क पहुंचाना भी उचित नहीं समझा। यहा पर स्थित एकमात्र तीर्थ स्थानों की उपेक्षा भी किसी से छुपी नहीं है।
इस क्षेत्र में स्थित दोनों तालों के सौंदर्यीकरण और अन्य योजनाओं पर कार्य किया जाए तो अवश्य ही नैनीताल में पर्यटन सीजन में पर्यटकों का दबाव कम होगा और ओखलकांडा के ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
ओखल कांडा ब्लॉक के ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद इन 75 सालों में सभी सरकारों ने ओखलकांडा ब्लॉक की अनदेखी की है स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। पर्यटन के कोई अवसर नहीं है। सरकार चाहे तो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देव गुरु बृहस्पति महाराज के मंदिर और पशुपतिनाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार कर लोगों को पर्यटन की दृष्टि से आकर्षित कर सकती है।
लोहाखाम ताल और हरीश ताल का सौंदर्यीकरण कर पर्यटक आकर्षित किए जा सकते हैं जिससे कि पर्यटन सीजन में नैनीताल में पर्यटन का दबाव भी कम होगा। स्थानीय ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जिससे कि पलायन भी रुकता लेकिन आज तक सभी सरकारें पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ावा देने में नाकाम साबित हुई हैं।