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उत्तराखण्ड

प्रत्याशियों की सूची निकलते ही हो सकती है बगावत

हल्द्वानी। उत्तराखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है। दावेदार शुरू से ही अपना दमखम दिखाने लग गए थे, कई तो ऐसे भी देखे गए वह साल भर पहले से अपनी तैयारी में लग गए थे, ऐसे नेताओं को सफेद कुर्ता पैजामा पहनकर बड़े- बड़े मुद्दे भी जनता के बीच उठाते देखा गया। यही नहीं ऐसे छुटभैय्ये कोरोनाकाल में दो चार किलो राशन बांटकर खूब फ़ोटो भी खींचते दिखाई दिए। चुनाव नजदीक आते ही जब इस भवसागर में उन्हें कुछ समझ नहीं आया, उन्हें कहीं अपना वजूद नहीं दिखा तो वह अब चित नजर आ रहे हैं। कई ऐसे भी छुटभैय्ये नेता दिखे जिन्होंने चुनाव से पहले ही अपना इतना प्रचार कर लिया की अब उनकी जेब ही ढीली हो गई, लेकिन रुझान फिर भी नजर नहीं आता देख वह अब खामोश हैं। पार्टी हाईकमान से हरी झंडी न मिलने से भी ऐसे छुटभैय्ये नेता गुमसुम नजर आ रहे हैं।
बहरहाल नेताओं के लिये इस बार चुनावी बैतरणी पार करना बेहद चुनौती भरा दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर ने रंग में भंग डालने का काम कर दिया है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का सब्र अब जल्दी खत्म होने वाला है। दोनों पार्टियों के दावेदार अपने-अपने नामों का इंतजार करने में लगे हुये हैं। संभावना भी यही है कि 15-16 जनवरी तक कांग्रेस-भाजपा अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती हैं। सूची निकलते ही कहीं न कहीं राजनीतिक पार्टियों में बगावती स्वर दिखने लग जाऐंगे। खासतौर पर कांग्रेस में एक ही जगह से उम्मीदवारों,दावेदारों की संख्या अधिक होने से यहां असंतुष्ट, बगावती जल्दी मोर्चा खोल सकते हैं। कुलमिलाकर माघ मास की शुरुआत में जिन्हें पार्टियां खुश नहीं कर पायेंगी वह अपने विरोधी तेवर जरूर दिखाने वाले हैं। हो सकता है इस दौरान दलबदलूओं में भी भारी उथल पुथल होगी।

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