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उत्तराखण्ड

11 महीनों बाद मिली नौकरी हाथ से निकली

देहरादून। यहां एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है बता दे कि पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं कर पाने के कारण करीब 11 माह पहले 72 युवाओं को परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं दी गई थी। इन युवाओं के हाथों में आई नौकरी छूट गई थी। लेकिन, अब 21 युवाओं को फिर से नौकरी मिलने जा रही है। आयोग ने तीन अगस्त 2016 को उच्च शिक्षा निदेशालय में पुस्तकालय लिपिक के 25 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए आयोग ने 22 अप्रैल 2018 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया था।परीक्षा के आधार पर चयनित उम्मीदवारों की 20 जुलाई 2018 को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए सूची जारी करते हुए आयोग ने नौ अगस्त 2018 को वेरिफिकेशन किया था।

आयोग ने पुस्तकालय लिपिक के इन पदों के लिए उत्तराखंड उच्च शिक्षा सेवा नियमावली 2014 के तहत 12वीं पास और केंद्र या राज्य सरकार से मान्य संस्था से पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाणपत्र की अर्हता तय की थी।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद 72 उम्मीदवार ऐसे थे, जिनके पास तय पत्रता नहीं थी। इन सभी की उम्मीदवारी इसी साल पांच जनवरी को रद्द कर दी गई थी। उम्मीदवारों ने इसके खिलाफ सरकार से गुहार लगाई। इनमें 21 उम्मीदवार ऐसे थे, जिनके पास लाइब्रेरी में डिप्लोमा के बजाय बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस या मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस की डिग्री थी। सरकार ने युवाओं की बात को सुना। इसके बाद उच्च शिक्षा (पुस्तकालयीय सेवा संवर्ग सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2021 को विज्ञापन की तिथि से ही लागू कर दिया।इस बदलाव को लेकर 17 अगस्त को आयोग की बैठक हुई। बैठक में कहा गया कि चूंकि सरकार ने नियमावली में बदलाव कर दिया है, इसलिए बी.लिब और एम.लिब वाले उम्मीदवार भी इस भर्ती के योग्य होंगे। इस संशोधन के बाद 21 उम्मीदवार ऐसे पाए गए जो कि पुस्तकालय लिपिक भर्ती के योग्य हैं। इन सभी के नामों की सूची जारी कर दी गई है। इस तरह करीब 11 माह बाद हाथ से निकली नौकरी फिर वापस मिल गई है।

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