उत्तराखण्ड
विभिन्न मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता एवं फेसिलेटटर सचिवालय कूच करेंगी
देहरादून। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत हजारों आशा कार्यकर्ता एवं फेसिलेटटर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कल 11 मार्च को सचिवालय कूच करेंगी। प्रदेश की 12315 आशा कार्यकर्ता व फेसिलेटटर का कहना है कि उन पर काम का भारी बोझ डाला जाता है और बदले में उन्हें सही मानदेय नहीं मिलता। आशा कार्यकर्ता के ऊपर रेख देख रेेख करने वाली 606, आशा फेसिलेटटर प्रदेश संगठन ने उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित किए जाने व निश्चित मानदेय दिए जाने समेत विभिन्न मागों को लेकर सचिवालय कूच करने की चेतावनी दे डाली है।
विस्वकर्मा आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन के प्रदेश महामंत्री ने उत्तराखंड सरकार की अनदेखी को देखते हुए बताया कि उत्तराखंड सरकार बोलती है आशा कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ है, लेकिन मानदेय के नाम पर एक मजदूर के बराबर भी मानदेय नहीं दिया जाता है। आशा कर्मचारी लोगों को स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य सरकारी विभागों के द्वारा आफ लाइन व औन लाइन इतने काम दिये जा रहे हैं। जिसे कठिन परिस्थियों वाबजूद पर्वतीय क्षेत्रों व दुर्गम इलाकों की आशा कर्मचारियों के लिए भारी बोझ बन रहा है।
आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन के प्रदेश महामंत्री का कहना है उत्तराखंड सरकार को आशा कर्मचारी लोगों के लिए निश्चित मानदेय व रिटायर्ड बेनिफिट देना चाहिए । रेनू नेगी आशा फेसिलेटटर प्रदेश महामंत्री ने उत्तराखंड सरकार को कहा कि एक तरफ सरकार उतराखंड महिला सशक्तिकरण की बातें करते हो वही महिला उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत आशा एवं आशा फेसिलेटर है, जो सन् 2005 से अपनी विभिन्न मांगों के लिए धरना प्रदर्शन व रैली निकाल कर उत्तराखंड सरकार व केन्द्र सरकार को अवगत कराये जा रही है। उन्हें उत्तराखंड सरकार व केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड की आशा कार्यकर्ता व आशा फेसिलेटटर के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की। इसलिए उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की अलग-अलग जिलों की आशा कार्यकर्ता एवं आशा फेसिलेटटरों ने 11, मार्च को देहरादून सचिवालय कूच करके अपने निश्चित मानदेय व रिटायर्ड बेनिफिट के लिए रैली निकाल कर ज्ञापन देकर समाधान की मांग कर रही है।