उत्तराखण्ड
जुगल पेटशाली राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, कहा -भारतीय संस्कृति को बचाने वाले योद्धा हैं उप राष्ट्रपति
-नवीन बिष्ट
अल्मोड़ा। उत्तराखंड के जाने माने लोक विधाओं के साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली को हल ही में संगीत नाटक एकेडमी अमृत अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया है। पेटशाली के मिले इस पुरस्कार से समग्र उत्तराखंड के साथ ही विशेष तौर पर अल्मोड़ा गौरवांवित हुआ है। इस बीच अल्मोड़ा पहुंचे पेटशाली को रंगकर्मियों के साथ ही साहित्यकर्मियों ने बधाई दी है।
उल्लेखनीय है कि उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली के विज्ञान भवन में 75 वर्ष से अधिक उम्र के 84 उत्कृष्ट कलाकारों को यह पुरस्कार प्रदान किया। इनमें शामिल जुगल किशोर पेटशाली को उत्तराखंड की प्रदर्शन कला में समग्र योगदान के लिए यह अवार्ड दिया गया है। पेटशाली ने बताया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ की शालीनता से वह खासे प्रभावित हैं। उन्होंने कलाकारों को भारतीय संस्कृति की विरासत को बचाने वाले योद्धा बताया।
इधर पेटशाली का कहना है कि लेखन के प्रति उनका लगाव शुरू से रहा है। 14 साल की उम्र में राइंका अल्मोड़ा के छात्र रहते उनकी कविता चर्चित रही थी वहीं चीन युद्ध के दौरान 16 साल की उम्र में लिखी कविता तब आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारित हुई थी। कुमाऊं की अमर प्रेम गाथा राजुला मालुशाही पर उन्होंने 23-24 साल से लिखना शुरू किया हालांकि इसका प्रकाशन 44-45 साल की उम्र में किया गया।
वहीं पिंगला भर्तहरि के साथ ही जय बाला गोरिया व कुमाऊं के लोक गीत के विविध स्वरूपों पर उन्होंने लेखनी चलाई है। पेटशाली ने कहना है कि आपाधापी के वर्तमान दौर में नई पीढ़ी अपने लोक साहित्य के प्रति रुचि दिखा रही है। नई तकनीक का उपयोग कर इसको आगे आने पीढ़ी के लिए संरक्षित रखने के लिए काम जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्ययन व फील्ड में जाकर ही अपनी जड़ों तक पहुंचा जा सकता है। इसके बाद किया गया लेखन कारगर साबित होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य के लिए उर्वराभूमि अल्मोड़ा का उनके साहित्य लेखने में योगदान रहा है। इसके लिए वह यहां के आभारी भी हैं। इस मौके पर मौजूद वरिष्ठ पत्रकार जगदीश जोशी आदि ने पेटशाली को पुरस्कार मिलने पर बधाई दी और इसको अपना गौरव बताया।