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उत्तराखण्ड

केदारनाथ यात्रा पर निकलने से पहले जान लें जरूरी, बातें कैसी हैं तैयारियां और क्या मिल रही सुविधाएं

केदारनाथ यात्रा इस साल एक नया रिकॉर्ड बना रही है। बीते 22 दिनों में पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। यात्रा के रास्तों पर भक्तों का जोश और उमंग साफ दिखाई दे रही है। सोनप्रयाग में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी रहती है। पुलिस और प्रशासन यात्रियों को धीरे-धीरे गौरीकुंड तक पहुंचा रहे हैं ताकि रास्ते पर कोई अफरातफरी न हो। घोड़े खच्चर और डंडी कंडी की व्यवस्था भी ठीक से चल रही है। साथ ही सफाई, पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। श्रद्धालु इस बात की प्रशंसा कर रहे हैं कि यात्रा के दौरान हर चीज का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से 19 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। यह सफर काफी मुश्किल भरा है। हालांकि लोग घोड़ा खच्चर, डंडी कंडी या पालकी का सहारा लेते हैं लेकिन कई भक्त इस सफर को पैदल ही तय करते हैं। इस साल केदारनाथ यात्रा दो मई से शुरू हुई। मात्र 22 दिनों में पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। जिला प्रशासन 24 घंटे यात्रियों की मदद में लगा हुआ है। पुलिस और अन्य अधिकारी रास्ते पर सेवाएं दे रहे हैं।

सोनप्रयाग के रास्ते श्रद्धालु सुबह से ही जुटने लगते हैं। वहां से शटल बसों के जरिए गौरीकुंड पहुंचते हैं। वहां से घोड़ा खच्चर, डंडी कंडी या पैदल चलते हुए केदारनाथ धाम तक जाते हैं। दर्शन कर लौटने वाले भक्त प्रशासन की व्यवस्थाओं की तारीफ करते हैं। टोकन सिस्टम से दर्शन आसान हुआ है। सफाई, स्वास्थ्य और पेयजल की भी अच्छी व्यवस्था की गई है।

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घोड़ा खच्चरों का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है। यात्रा के लिए चार हजार से ज्यादा घोड़े खच्चर यात्रियों को लेकर चल रहे हैं जबकि करीब एक हजार घोड़े जरूरी सामान धाम और रास्तों तक पहुंचा रहे हैं। पशु चिकित्सक रास्ते पर मौजूद रहते हैं। घोड़ों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था भी है जिससे जानवरों को राहत मिलती है।

सफाई पर खास ध्यान दिया जा रहा है। हर किलोमीटर में दस पर्यावरण मित्र तैनात किए गए हैं। ये लोग प्लास्टिक कूड़ा और घोड़ों की लीद अलग करते हैं ताकि सफर स्वच्छ रहे। प्रशासन ने हाईटेक टॉयलेट बनाए हैं जो श्रद्धालुओं को सुविधाजनक लग रहे हैं।

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