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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी की भावना ने वृंदावन के कान्हा संग लिए सात फेरे, धूमधाम से हुआ विवाह

हल्द्वानी: हल्द्वानी निवासी 55 वर्षीय भावना रावल की भगवान कृष्ण के प्रति दीवानगी भी कुछ वैसी है। भावना रावल ने भगवान लड्डू गोपाल (भगवान कृष्ण) के साथ धूमधाम से शादी की है। भगवान कृष्ण बारात लेकर भावना के घर पहुंचे, जिसके बाद धूमधाम के साथ मंदिर में विधि विधान के साथ विवाह संपन्न हुआ। रिश्तेदारों को फोन करके बेटी की शादी में बुलाया गया। मेहमान आ गए इस दौरान कुछ लोगों के मन में यही सवाल था कि आखिर दूल्हा कौन है? इस अनोखी शादी में बाकायदा दूल्हा भी आया। बाराती भी आए डांस भी हुआ।जितनी रस्में होती हैं, वह सब हुईं। बेटी विदा होकर पिता के घर आ गई। उसकी गोद में पति के रूप में भगवान कृष्ण कन्हैया की प्रतिमा थी जिसको लेकर वो विदा हुई। श्रीकृष्ण की दीवानी भावना मूल रूप से हल्द्वानी की ही रहने वाली हैं। भावना का कान्हा से जुड़ाव बचपन से ही है। लेकिन 30 वर्ष से वो पूरी तरह कृष्ण भक्ति में रम गईं। हल्द्वानी के आवास विकास कॉलोनी स्थित पंचेश्वर मंदिर में रहकर उन्होंने 30 साल प्रभु की सेवा बतौर सेवादार की. अब वह हमेशा के लिए गुरुवार को कान्हा की हो गईं। समिति से जुड़ी नमिता कांडपाल व उनके पति ने कन्यादान किया। पंचेश्वर मंदिर में धूमधाम से विवाह हुआ। बैंड-बाजे के साथ कॉलोनी के विभिन्न स्थानों ने बारात निकली और वापस मंदिर पहुंची।भावना के माता-पिता का वर्षों पहले निधन हो चुका है। उनके तीन भाई हैं। दो भाई बारात में शामिल हुए और बारातियों का स्वागत भी किया। शादी पूरी कुमाऊंनी रीति रिवाज से की गई। बारात में आए लोग भोज कार्यक्रम में भी शामिल हुए। इस दौरान महिलाओं द्वारा मांगल गीत भी गाये गए। शादी का आयोजन मंदिर समिति और समाज सेवा समिति द्वारा किया गया था। इस अनोखी शादी को देखने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं भी पहुंची हुई थी। लोगों ने भावना को आशीर्वाद के तौर पर उपहार भी दिए।विवाह से पहले गणेश पूजन समेत समस्त मांगलिक कार्य संपन्न कराए गए थे। महिलाओं ने शगुन आंखर भी गाए। पूरा माहौल ऐसी ही था जैसे विवाह के समय किसी घर का होता है। विवाह से कई दिन पहले से ही भावना के घर मेहमान भी आ गए थे। भावना के साथ श्रीकृष्ण के विवाह के लिए प्रतिमा वृंदावन से मंगाई गई वृंदावन उत्तराखंड प्रदेश के मथुरा जिले में है। वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुड़ा स्थल है। इसे श्री कृष्ण की अनेक अलौकिक बाल लीलाओं का केंद्र माना जाता है।

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