उत्तराखण्ड
पेशावर विद्रोह के अमर नायक कामरेड चंद्र सिंह गढ़वाली की समझौता विहीन संघर्ष की विरासत को बुलंद करने का आह्वान
हल्द्वानी। 23 अप्रैल पेशावर विद्रोह दिवस है और 22 अप्रैल भाकपा (माले) की स्थापना की 54वीं वर्षगांठ थी. इस मौके भाकपा माले हल्द्वानी ब्रांच की बैठक में पेशावर विद्रोह के नायक कामरेड चंद्र सिंह गढ़वाली, भाकपा माले के संस्थापक महासचिव कामरेड चारु मजूमदार और पार्टी के सभी संस्थापक नेताओं समेत सभी साथियों को क्रांतिकारी श्रद्धांजलि दी गई।
भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि, “23 अप्रैल 1930 को कामरेड चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में ब्रिटिश फौज की गढ़वाली टुकड़ी ने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे निहत्थे मुस्लिम पठानों पर गोली चलाने के आदेश पर अमल करने से इंकार कर दिया था। यह बहुत विराट फलक का विद्रोह था।
जिसने अंग्रेजी हुकूमत की हिन्दू-मुस्लिम एकता को भंग कर फूट डालो और राज करो की नीति पर गढ़वाली के नेतृत्व में सैनिकों ने एक करारा प्रहार कर इतिहास रच दिया था। आज मौजूदा भाजपाई हुक्मरान-जिनका और उनके मातृ संगठन आरएसएस का आज़ादी की लड़ाई से कोई वास्ता नहीं रहा- जब राष्ट्र के नाम पर मज़हबी उन्माद भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है।
हर मुद्दे का जिस तरह से साम्प्रदायिकरण किया जा रहा है ऐसे समय में कामरेड चंद्र सिंह गढ़वाली और साथियों के पेशावर विद्रोह का ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ गया है। चन्द्र सिंह गढ़वाली कॉरपोरेट लूट और धार्मिक विभाजन के बल पर शासन कर रही फासीवादी मोदी सरकार के विरुद्ध संघर्ष में हमेशा हमारे नायक रहेगें।”
उन्होंने कहा कि, “धार्मिक और भाषायी सीमाओं से ऊपर उठ कर जनता के सभी तबकों में एकता और एकजुटता के बंधन को मजबूत करना बहुत जरूरी है. मजदूर और किसान, पुरुष और महिलायें, हिन्दू और मुसलमान सभी को एक साथ आकर फासीवाद को शिकस्त देकर लोकतंत्र और भारत को बचाना होगा।
साल 2023 में कई महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल की शुरूआत में लोकसभा के निर्णायक चुनाव होंगे. इन सभी चुनावों में भाजपा को हराने और कमजोर करने के लिए और अगली संसद में क्रांतिकारी वाम का प्रतिनिधि भेजने के लिए हमें पूरे जी-जान से लग जाना चाहिए.”
पार्टी स्थापना दिवस पर हल्द्वानी ब्रांच की बैठक में भाकपा(माले) को मजबूत करने और जनता की व्यापक फासीवाद विरोधी एकता का निर्माण करने की पुरजोर कोशिशें करने की शपथ ली गई। इस अवसर पर जोगेंदर लाल, दीपक कांडपाल, धन सिंह गड़िया, मनोज आर्य, देवेन्द्र, मुकेश जोशी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।