उत्तराखण्ड
सावधानी ही बचाव: बरसात में सांप-बिच्छू से रहें सतर्क, डॉक्टर बोले—पहला आधा घंटा होता है निर्णायक
देहरादून में बारिश शुरू होते ही जहरीले जीवों का खतरा भी सामने आने लगा है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रोजाना सर्पदंश और बिच्छू के डंक के मामले आ रहे हैं। हाल ही में इंदिरा नगर इलाके में रहने वाला सत्रह साल का हिमांशु करैत सांप के डसने का शिकार हो गया था। उसे बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया। लेकिन डॉक्टरों की सतर्कता और तुरंत शुरू हुए इलाज ने उसकी जान बचा ली।
डॉक्टरों ने बताया कि मानसून के वक्त जब नमी बढ़ती है और जगह जगह पानी भरने लगता है तब सांप और बिच्छू जैसे जीव अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं। खासकर जंगलों से घिरे इलाकों में ये खतरा ज्यादा होता है। उत्तराखंड वैसे भी पहाड़ी और वन क्षेत्रों से भरा हुआ है। इसलिए हर साल बरसात के दौरान इस तरह के मामले तेजी से बढ़ते हैं।
दून अस्पताल में बच्चों के इलाज के अनुभवी डॉक्टर अशोक ने बताया कि इस मौसम में तीन से चार ऐसे गंभीर केस सामने आ रहे हैं जिन्हें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। हालांकि अब ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्पदंश से निपटने की दवा उपलब्ध है लेकिन कई बार गंभीर हालात में मरीजों को दून अस्पताल रेफर किया जाता है।
डॉक्टरों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर किसी को सांप या बिच्छू काट ले तो झाड़ फूंक में वक्त ना गवाएं। सीधा अस्पताल जाएं। उन्होंने ये भी बताया कि सांप के काटने के बाद शुरू के तीस मिनट सबसे ज्यादा अहम होते हैं। इस दौरान अगर सही इलाज मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है।
जिस हिमांशु को सांप ने डसा था उसे छह घंटे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने उसे दस शीशियां एंटी स्नेक वेनम की दीं और तीन दिन में हालत सुधरने पर उसे घर भेज दिया गया।
लोगों को सलाह दी गई है कि अपने घर और आसपास सफाई रखें। झाड़ियों को हटाएं। बच्चे बाहर नंगे पांव खेलने ना जाएं। चप्पल या जूते पहनकर ही बाहर निकलें। अगर घर मिट्टी का है तो मच्छरदानी का जरूर इस्तेमाल करें। साथ ही कीटनाशक दवाओं का छिड़काव समय समय पर करें।
डॉक्टर अशोक ने लोगों से अपील की है कि किसी भी हालत में झाड़ फूंक जैसे उपायों में ना उलझें। सही समय पर इलाज मिले तो जहर का असर खत्म किया जा सकता है। मानसून में सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।



