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उत्तराखण्ड

चुनावानक न्यैरैल ठग्गू नेताओं कैं सपर्पित

देश के पांच राज्यों में आजकल विधानसभा चुनाव गतिमान हैं, इसी संदर्भ में उत्तराखंड के कुमाउँनी बोली, भाषा में प्रमुख ज्योतिषाचार्य पं नारायण पाठक द्वारा व्यंग करते हुए स्वरचित यह कविता लिखी है।

चुनावानक न्यैरैल ठग्गू नेताओं कैं सपर्पित

बानि बानिक छापरि ल्ही आजि ऊंण भैगईं लोग।
मैंकैं दिया मैंकैं दिया हो! फिरि कूंण भैगईं लोग।।
पाँच साल बटी कबै द्यखण में जो नि आय।
आब दोफरि में स्वींण द्यखूंण भैगईं लोग।।

गुदड़ीक लाल कूंछी जनन कैं हम-तुम।
आब करोड़ोंक् ब्यौपार चलूंण भैगईं लोग।।
आब जनसेवक बणि खादीक् आढ़ में।
काइ करतूत में स्यत् रंग मिलूंण भैगईं लोग।।

कैं बटी लुटौ कैं बटी लुछौ और क्वे ठगौ।
आब साफ-सुथर हिसाब बतूंण भैगईं लोग।।
स्यैंणिक नौं पर महल च्यालाक नौं पर होटल छु।
खुद कैं आजि फाटींहाल बतूंण भैगईं लोग।।

जन सेवक छियां तुमरी सेवा करूंल कूंनी।
सिद-साद जनता कैं फिरि मतूंण भैगईं लोग।।
ठगि ठागि घुमै फिरै मिठ मिठ बोल बुलै।
नानभ्वौकि चार फिरि ब्वत्यूंण भैगईं लोग।।

जात-पात और धरमक जहर घोलिबेर।
सिदि-सादि जनता कैं लड़ूण भैगईं लोग।।
क्वे यो पार्टी क्वे उ पार्टी क्वे निर्दलीय छन।
पार्टी नौं पर सांकै बिरादरन भिड़ूंण भैगईं लोग।।

कती मंत्री कती सन्तरी कती छुटभैया द्यखो।
घर घर में ठेकिदारी चलूंण भैगईं लोग।।
नौंणि खाणी आब छां फानण में लागि रईं।
गरीब दुबावन कैं कैंजि पिलूंण भैगईं लोग।।

तुम दान जरूर दिया दिणाक अधिकारी भया।
लोभ-लालच में दानक धरम बिगूंण भैगईं लोग।।
मुफ्त में क्याप क्याप दिणैंकि बात करनी।
कती डबल कती बोतल पुजूंण भैगईं लोग।।

-पं० नारायण पाठक,

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