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उत्तराखण्ड

कामरेड चारू मजूमदार शहादत दिवस पर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी


  • ‘माले’ के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के शहादत दिवस पर पार्टी को मजबूत करने की शपथ
  • मोदी सरकार की फासिस्ट जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज किया जायेगा!
  • ‘वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023’ को पारित कराना जनविरोधी व वनविरोधी

लालकुआं। भाकपा (माले) ने अपने संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार शहादत दिवस पर आज इंद्रानगर, ट्रॉली लाइन, घोड़ानाला, आदर्श गांव राजीवनगर, तिवारी नगर, पुरानाखत्ता, शास्त्रीनगर ब्रांचों की बैठकें कर कामरेड चारू मजूमदार और तमाम शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। शहादत दिवस पर केन्द्रीय कमेटी के आह्वान को पढ़ा गया और कामरेड चारू मजूमदार के विचारों के आधार पर संघर्ष तेज़ करने और पार्टी को मजबूत करने की शपथ ली गई।

विभिन्न ब्रांचों में अपना वक्तव्य रखते हुए ‘माले’ नैनीताल जिला सचिव काॅमरेड डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “भारत में मजदूर -किसानों का राज लाने और मजदूर वर्ग की क्रांति करने का सपना काॅमरेड चारू मजूमदार ने देखा था। चारू मजूमदार ने ही 22 अप्रैल 1969 को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की स्थापना की थी। जेल में यातनाओं के कारण 28 जुलाई 1972 को उनकी जेल में ही शहादत हो गई।

भाकपा (माले) काॅमरेड चारू मजूमदार सहित तमाम क्रांतिकारियों के सपने को साकार करने के लिए आज भी संघर्षरत है और पूरे देश में मजदूर-किसानों, दलित, अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं के संघर्षों में पूरी ताकत के साथ लगी है। आज के दौर में जब केन्द्र में बैठी फासीवादी मोदी सरकार के राज में दलितों, अल्पसंख्यकों , किसानों पर हमले बढ़ रहे है तब प्रत्येक पार्टी सदस्य को पूरे शिद्दत के साथ इन हमलों के प्रतिरोध मे उठ खड़ा होना होगा। काॅमरेड चारू मजूमदार का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति का सपना आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।”
उन्होंने कहा कि, “केन्द्र में प्रचण्ड बहुमत से दो बार आ चुकी मोदी सरकार आज जनता से किये गये सभी वायदों से मुकर गयी है। देश के एक सौ चालीस करोड़ लोगों की बात करने वाले मोदी जी आज सिर्फ अम्बानी-अडानी जैसे चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। अब जब मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो गये हैं तो इस सरकार ने 2 करोड़ रोजगार प्रत्येक वर्ष देने के अपने चुनावी वायदे को किनारे कर दिया है साथ ही बेतहाशा महंगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाली नीतियों को लागू किया जा रहा है। आर्थिक संकट से निपटने में पूरी तरह असफल मोदी सरकार बड़े पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के लिए देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सरकारी रक्षा कम्पनियों को जबरन निजीकरण के रास्ते पर धकेल रही है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का काम है। और इस सब से जनता का ध्यान बांटने के लिए धार्मिक विभाजन को सरकार के संरक्षण में तेज किया जा रहा है।”

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भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता भुवन जोशी ने कहा कि, “वन संरक्षण अधिनियम 1980 में बदलाव लाने के लिए ‘वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023’ को भारी जनविरोध के बावजूद लोकसभा में पारित कर दिया गया है। यह सरकार के जनविरोधी, वनविरोधी रुख को एक बार फिर से जाहिर कर रहा है. इन संशोधनों में एक बार भी वनाधिकार कानून 2006, ग्राम सभाओं के अधिकार, और पेसा कानून का जिक्र तक नहीं किया गया है, वहीं वनों पर निर्भर समुदायों के, वनवासियों के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय अधिकारों की अवहेलना की गई है। जो एक्जेम्प्शन लिस्ट, जिन्हें इस कानून की धाराओं से छूट दी गई है, इसमें है उससे वन भूमि का डाइवर्जन — अन्य उपयोग — और वन आधारित समुदायों का विस्थापन और आसान हो जायेगा।”

भाकपा माले के बिंदुखत्ता सचिव पुष्कर सिंह दुबड़िया ने कहा कि, “आज की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें पार्टी को सांगठनिक, राजनीतिक एवं वैचारिक तौर पर मजबूत बनाना होगा. इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक विशेष सदस्यता भर्ती अभियान चलाया जाएगा।”

वरिष्ठ माले नेता किशन बघरी ने कहा कि, “आज देश असाधारण परिस्थिति के बीच है, न केवल जनता का जीवन, जीवनयापन के साधन और स्वतंत्रताओं पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि गणतंत्र को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की संवैधानिक प्रतिबद्धता से वंचित कर फासीवादी राष्ट्र के पिंजरे में कैद किया जा रहा है. क्रांति के सपने को पूरा करने के लिए जिस पार्टी का जन्म हुआ उसे अब इस अभूतपूर्व विपत्ति का सामना कर रहे गणतंत्र को बचाने व उसका पुर्ननिर्माण करने के कार्यभार को नेतृत्व देना होगा।”

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ब्रांचों की अलग अलग बैठकों में मुख्य रूप से डॉ कैलाश पांडेय, भुवन जोशी, पुष्कर दुबड़िया, गोविंद सिंह जीना, किशन बघरी, आंनद सिंह सिजवाली, कमल जोशी, मदन सिंह धामी, चन्दन राम, स्वरूप सिंह दानू, नैन सिंह कोरंगा, हरीश भंडारी, निर्मला शाही, बिशन दत्त जोशी, प्रमोद कुमार, त्रिलोक सिंह दानू, कमलापति जोशी, आनंद सिंह दानू, राम सिंह खड़का, रोबिन प्रसाद, ललित जोशी, त्रिलोक राम, खीम सिंह, हुकुम सिंह, हीरा बल्लभ आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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