उत्तराखण्ड
ग्राम प्रधान से जिला पंचायत तक होंगे दो चरणों में चुनाव, महिलाओं और आरक्षित वर्गों को मिला आधे से ज्यादा प्रतिनिधित्व
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। हरिद्वार को छोड़ बाकी बारह जिलों में चुनाव कराने की तैयारियां अब अंतिम दौर में पहुंच गई हैं। आज पंचायतों में आरक्षण को लेकर प्रस्ताव बनाकर पंचायती राज निदेशालय ने शासन और राज्य चुनाव आयोग को सौंप दिया है। आरक्षण प्रस्ताव मिलने के बाद अब शासन चुनाव से जुड़ी अधिसूचना तैयार करने में लग गया है। इशारा साफ है कि इक्कीस जून को अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
इस बार पंचायत चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। शासन और निर्वाचन आयोग की तरफ से इससे जुड़े सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। अधिसूचना के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। चुनाव की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग अट्ठाईस से तीस दिन लगने की संभावना है। यानी बीस जुलाई तक चुनाव संपन्न हो सकते हैं। फिलहाल शासन स्तर पर कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करने को लेकर गहन मंथन चल रहा है।
पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने बताया कि उत्तराखंड के बारह जिलों में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ग्राम पंचायत प्रधान के कुल 7817 पदों में से अनुसूचित जनजाति के लिए 226, अनुसूचित जाति के लिए 1467 और पिछड़ा वर्ग के लिए 1250 पद आरक्षित किए गए हैं। बाकी बचे हुए पद सामान्य श्रेणी के लिए रखे गए हैं। यानी इन पदों में पचास फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी आरक्षित श्रेणियों को दी गई है।
इसी तरह प्रदेश के 89 ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव भी होने हैं। इनमें से तीन पद अनुसूचित जनजाति के लिए, अठारह अनुसूचित जाति के लिए और पंद्रह पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। वहीं बारह जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए भी चुनाव कराए जाएंगे। ये चुनाव पहली बार ट्रिपल टेस्ट के आधार पर कराए जा रहे हैं, इसलिए इसे प्रथम चक्र माना गया है और सभी जिलों में आरक्षण का रोस्टर भी प्रथम चक्र के तहत ही लागू किया गया है। जिला पंचायतों के तेरह पदों में से अनुसूचित जनजाति के लिए कोई पद आरक्षित नहीं किया गया है। अनुसूचित जाति के लिए दो और पिछड़ा वर्ग के लिए भी दो सीटें तय की गई हैं। बाकी नौ सीटें सामान्य रखी गई हैं। जिला पंचायतों में भी पचास फीसदी से ज्यादा पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
चंद्रेश यादव ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों की ओर से आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है। इसके बाद ये प्रस्ताव पंचायती राज निदेशालय को सौंपे गए हैं। वहीं निदेशालय से प्रस्तावों की प्रतियां शासन और राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी गई हैं। अब राज्य निर्वाचन आयोग से परामर्श के बाद शासन की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी। इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है और जल्द ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

