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चुनावी शोर,जलते जंगल चहुओर
पिथौरागढ़। बारिश नहीं होने के कारण जिले के कई क्षेत्रों में जंगल लगातार धधक रहे हैं। चीड़ के साथ ही बांज, बुरांश, के जंगलों में भी भीषण आग से काफी नुकसान पहुंच रहा है। बृहस्पतिवार को डीडीहाट, पिथौरागढ़, मूनाकोट, कनालीछीना, बेरीनाग, राई आगर सहित कई रेंज के वनों में आग धधकती रही। अधिकांश वन कर्मियों के इस समय चुनाव ड्यूटी पर होने से आग पर नियंत्रण पाना कठिन साबित हो रहा है।
इस सीजन में अब तक आग लगने की 36 घटनाओं में 52.5 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ है। आग की आरक्षित में नौ और सिविल व पंचायत वनों में 27 से अधिक घटनाएं हुई हैं। आग से वन विभाग को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। कुमाऊं के अधिकांश जगहों में जंगल धू धू करके जल रहे हैं. चीड़ के पत्ते पिरूल में लीसे की मात्रा होने से चिंगारी भी ज्वाला का रूप धारण कर ले रही हैं. इन धधकते जंगलों से निकलने वाली हानिकारक गैस सांसों में धुलकर दमा, अस्थमा, खांसी,एलर्जी के मरीजों की संख्या को लगातार बड़ा रही हैं. धुंध के प्रकोप से पहाड़ की शुद्ध हवा पानी में जहर घुलता जा रहा हैं.दूसरी तरफ चुनावी शोर ने सब निगल रखा हैं. गांवों के बुजुर्ग कह रहे है की आखिर ये चुनाव किस लिए हो रहे हैं। जीवन दिन प्रतिदिन कठिन होते जा रहा हैं.जलते जंगलों ने तेंदुवा, सुअर, बंदर, लंगूर, भालू को गावो तक पहुंचा दिया हैं। जानवरो के डर से फसल, तरकारी ,फल, फूल चौबट हो गई हैं.पशुपालन के अभाव में लोग कृतम दूध से kamu चला रहे हैं। कुल मिलाकर गांवों में रहकर ऐसा लगने लगा है की जीवन पहले जो अच्छा था , अब मुश्किल हो गया हैं.सबसे अधिक मार गांवों के जल स्रोतों पर पड़ी है. नौले, धारे,पोखर, तालाब पानी की कमी से प्यास बुझाने में असफल हो रहे हैं. गांव खेती, काहकोट, मंतोली में अभी से पानी के मारा मारी हो रही हैं । नौले में दो बूंद पानी के लिए लंबी भीड़ लगी रहती हैं। गांव की वरिष्ठ नागरिक देवकी देवी बताती है हमे तो चुनावों से बड़ी उम्मीदें थी की अब हमारा जीवन स्तर सुधरेगा लेकिन स्थिति और मुश्किल होती जा रही हैं .कहने को तो घरों में नल लगे हैं मगर समस्या जस की तस बनी हुई हैं.
आग की ही बात करे तो कल शाम ही राई आगर के पास अल्मोड़ा रोड में रात भर जंगल विकराल रूप धारण किए थे.
प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने वनाग्नि को बुझाने में ग्रामीणों से सहयोग करने का अनुरोध किया है।
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