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अब भी कूड़ा उठान और निस्तारण रुद्रपुर नगर निगम के लिए चुनौती, जगह-जगह पसरी गंदगी

मीनाक्षी

रुद्रपुर। महानगर में ट्रैकिंग ग्राउंड में लगा कूड़े का पहाड़ तो हट गया, लेकिन शहर में कूड़ा उठान को व्यवस्था आज भी पटरी पर नहीं आ रही है। शहर के सिहकल से सटे वार्ड व हिट कैप क्षेत्र में कूड़े के वाहन समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में कई स्थानों पर कूड़े के है लगे रहते हैं। अधिकारियों को मानें तो पर्यावरण मित्रों की कमी के कारण नगर निगम प्रशासन कूड़े का उठान सही तरीके से नहीं कर पा रहा है। आजादी के हिम से निगम को 600 पर्यावरण मित्रों की जरूरत है जबकि इस समय आउटसोस और नियमित कर्मचारी मिलाकर कुल 300 ही हैं। ऐसे में शासन से कम से कम 200 नए पदों के सृजन की मांग की गई है। रुद्रपुर शहर 55.22 किमी वर्ग क्षेत्रफल में बसा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शहरी क्षेत्र की आबादी करीब 1,75,723 है। जबकि वर्तमान में करीब तीन लाख की आपादी हो गई है। वर्ष 2018 में परिसीमन के वद नगर निगम के 20 से बहकर 40 वार्ड हो गए। आवादी पढ़ने के साथ ही शहर का दायरा तो वहा, लेकिन निगम में सृजित पदों को संख्या नहीं यहीं वर्तमान में निगम के पास 109 नियमित और करीब 200 आउटसोर्स पर वरण मित्र काम कर रहे हैं। जो निगम के करीब 72 वाहनों से कूड़े का उठान करते हैं नियम को करीब 100 पर्यावरण मित्र की और आवश्यकता है। लेकिन पर्दे का सृजन न होने से सिर्फ 309 पर्यावरण मित्रों पर ही शहर की सफाई की जिम्मेदारी है। इसका असर सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। कूड़ा उठान कई वार्ड में ठीक से नहीं होता है गलियों की साफ-सफाई भी सही तरीके से नहीं हो पाती है। ट्रांजिट कै क्षेत्र में कई नालियां गंदगी से पटी हैं।

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नगर निगम की ओर से कूड़ा उठान के लिए हर घर से 50 रुपये प्रति महीने सरचार्ज शुल्क लिया जाता है। सरचार्ज शुल्क लेने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को काम दिया गया। लेकिन महिलाओं की तरफ से सरचार्ज की भी वसूली सही तरीके से नहीं की जा रही है। इससे वाहन दूरस्थ में सीधे घर तक नहीं पहुंच पा रहे। कुल क्षेत्र में कामगार बाहरी होने की वजह से आबादी में एक तिहाई लोग बाहरी रहते है। जिनके घरी पर सुबह-शाम न पहुंचने से कूड़ा रंग जोन में एकत्रित किया जाता है।

एक हजार जनसंख्या पर दो कर्मचारी होते हैं। ● लेकिन कर्मचारियों की कमी है। इस समय 309 पर्यावरण मित्र है। करीब दो सौ कर्मचारियों की आवश्यकता है। शासन से 600 कर्मचारियों की जरूरत के सापेक्ष 200 नर पदों के सृजन की मांग की है। सिडकुल क्षेत्र से जुड़े वहाँ में वहां के लोगों की सुविधानुसार वाहन भेजे अभी कूड़ा उठाने को 60 वहन है जबकि 80 होने चाहिए। 20 वाहनों की मांग भी शासन से की है।

नरेश चंद्र दुर्गाय नगर आयुक्त, नगर निगम रुद्रपुर।

सीवीजी, फ्रेशवेस्ट प्लांट को नहीं मिल रहा पर्याप्त कूड़ा ट्रेचिंग ग्राउंड में करीब दस लाख टन कूड़े का पहाड़ बन गया था। तत्कालीन डीएम उदयराज सिंह के प्रयासों से यह पहाड़ हट तो गया लेकिन वहां जमा कूड़े को बीएचईएल के पीछे समेत कई स्थानों पर डंपिंग जोन के रूप एकत्रित कर दिया। डा निस्तारण के लिए सीबीजी व वेस्ट प्लांट तो लगा दिए गए। लेकिन इन प्लाटों को पर्याप्त कूड़ा नहीं मिल पा रहा है। सीबीजी प्लांट में गीले कूड़े के निस्तारण की क्षमता करीब 30 टन है। लेकिन हर दिन दस से 12 टन ही कूड़ा मिल पा रहा है निवस (सूखा कूड़ा निस्तारण के लिए 90 टन क्षमता वाला वेस्ट प्लांट लगा है जो पर्याप्त मात्र में सूखे कूड़े का निस्तारण नहीं कर पा रहा है। ऐसे में शहर के हर वार्ड से पिसे का उठान नहीं हो पाता है। परिसमीन में जो गांव शामिल हुए थे उनमें सप्ताह में दो या तीन बार ही कूड़ा वाहन जाते हैं। ऐसे में लोग आसपास खाली प्लाटों या नाली, नालियों

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में घरों को कड़ा फेंक देते हैं। इससे उठने वाली बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। सही तरह से कूड़े निस्तारण न होने से लोगों में नगर निगम के प्रति नाराजगी भी है। वाहन समय से नहीं पहुंच पाता है। इसकी वजह से घर के कूड़ेदान में रखा कूड़ा सड़क किनारे डालना पड़ता है। कड़ा वाहनों की सजा जाए। हिमांशु, स्थानीय निवासी

कल्याणी नदी में गंदा पानी बह रहा है। नालियां चोक है। इससे आए दिन सड़क पर गंदगी जमा हो जाती है। नगर निगम का कड़ा वहन न आने की वजह से कड़े का ढेर खाली मैदान में लग जाता है। इससे नगरवासियों को परेशानी हो रही है। रंजीत, स्थानीय निवासी

कई कई दिन पिंग जोन में कूड़ा पड़ा सड़ता रहता है। इसकी वजह से दुगंध आती है। नालिया भी रही तरीके से नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से पनी | आदि नाली में फंसी रहती है। अनमोल, स्थानीय निवासी जगतपुरा

नालियों से जल निकासी की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इससे बरसात के दिनों में जलभराव हो जाता है। मोहल्ले में कूड़ा उठान की समस्या है खाली प्लाट में हा एकत्रित करना पड़ता है, जो दो दिन तक नहीं उठ पाता है। सफाई व्यवस्था को और बेहतर बनाने की जरूरत है। मीता] तरफदार, ट्रांजिट कैंप

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