उत्तराखण्ड
हे राम,जय राम जै जै राम
आदर्श सभी के रघुपति राम
फिर भटका क्यू है आज खासो आम.
जन्म दिन के रामलला से कर्म भूमि के वीर तक
जन्म ले हर सोच विचार, करे काज तुम्हरे नाम.
राज धर्म हो या हो कर संग्रहण धर्म
न हो असमान हे सिया पति राम.
हो शासन बिना भेदभाव के सब जगह
तुम सब जन के प्रिय नयनाभिराम.
सत्ता शक्ती का प्रयोग हो जब होना
नही भूले कोई वादा तब चले सद पथ जैसे राजा राम.
हो संभव एक खुशहाल राज्य
जहां सुखी,खुशी रहे साथ जैसे राम राज्य.
सबको सन्मति दो श्री राम
न हो पाए निरादार भले ही कोई नाम.
गीले शिकवे भूले आपस के हम
बनें बिगड़े सबके काम.
हे राम, हे राम हे सीता राम
तुम प्रिय भक्तों के करुणानिधान .
यही नाम सत्य जगत में राम राम
सत्य से मिलती गति अल्प,पूर्ण विराम.
शुरू से अंत से अनादि तक
हर चित्त देह निवासते श्री महाधाम.
सतत , शाश्वत और सनातन
प्रणाम कोटिशः हैं तुम्हारे चरण में
हे जानकी नंदन प्रभु जय श्री राम।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय “नेचुरल” खेती, राई आगर
बेरीनाग,पिथोरागढ़
उत्तराखंड