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उत्तराखण्ड

उच्च न्यायालय ने मानव वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर की सुनवाई

रिपोर्टर भुवन ठठोला

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानव वन्य जीव संघर्ष को नियंत्रित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने प्रमुख वन सचिव आर के सुधांशु को निर्देश दिए है कि हाथी, भालू, और गुलदार के हमलों के लिए अलग अलग एसओपी बनाए।

कोर्ट ने राज्य के हर जिले में एक पैनल बनाने को कहा है जिसमे एक्सपर्ट मौजूद हो। कोर्ट ने वन्यजीव हमलों से पीड़ित व्यक्तियों के विचाराधीन मामलों का जल्द से जल्द निस्तारण करने के निर्देश जारी करने के साथ ही 17 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 17 अगस्त की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नवंबर 2022 में इस मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे कि वह मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करें ।

इस मामले में पूर्व में तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल द्वारा दाखिल शपथ पत्र में केवल कागजी कार्यवाही का उल्लेख था और धरातल पर मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने का कुछ उल्लेख नही था ।
आज पुनः इस मामले की सुनवाई में सरकार द्वारा कोर्ट को बताया गया कि पूर्व के इस आदेश की अनुपालन नहीं हुआ है ।

इसलिए और समय दिया जाय । जनहीत याचिका दायर करने के बाद अभी तक प्रदेश में करीब 17 लोग वन्यजीवों का शिकार हो चुके है। जिसमे पिछले महीने रानीखेत की घटना भी प्रमुख है।

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