राष्ट्रीय
हिन्दुस्तान तेरी आज़ादी को
हिन्दुस्तान तेरी आज़ादी को
पचहत्तर साल पूरे हुए
चलकर शून्य से शिखर तक
संघर्ष करते जाने कितने लोग कम हुए।
बेपरवाह नही थे हम,
तेरी आज़ादी को लेकर
लड़े थे जी-जान से
तुझे कैद से मुक्त कर।
हमारा धर्म ,पंथ,सब एक था
लिंग भेद नही जानते थे।
मिलकर लड़े थे
इसलिए हिंदुस्तान को पहचानते थे।
ताकत थे हम तुझे पाने के लिए,
सपना जो अधूरा था तिरंगा छूने के लिए,
बस आवाज़ एक थी
थे चेहरे अनगनित
रास्ते कभी थे अलग
पर मंज़िल एक थी
तुझे पाने के लिए।
हज़ारों, लाखों शहीद हुए तेरे लिए,
इसीलिए की सांस ले सके खुली हवा में जीने के लिए।
विचार कर सके स्वंतंत्र,निरपेक्ष बिना भेदभाव किए
चल सके बेरोकटोक
तेरी रक्षा के लिए।
गर्व हैं इस भक्ति में हमें
जिसमे राष्ट्र सर्वोपरि है सबमें
शान,आन,बान तिरंगा हमारा
नभ, जल, थल में।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय
“नेचुरल” उत्तराखंड