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उत्तराखण्ड

यकीन न हो तो एक शाम रहकर देखिए,यहां है भूतों का गांव

आज हम आपको ले चलते हैं उत्तराखंड के चंपावत जिले की ओर, यहां एक ऐसा गांव है जहां शाम होते ही लोग उसे छोड़ कर चले जाते हैं। जो भी खेत खलिहानों का काम हो उसे दिन में आकर करते हैं। जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्वाला गाँव है जिसे अब भुतहा गांव के नाम से जाना जाता है। गांव में कभी तकरीबन 70-80 परिवार रहते थे जो वक्त के साथ साथ अब इक्का दुक्का ही रह गए। वह भी दिन ही दिन वहाँ रहते हैं। पूरा गांव खाली हो गया, यहां खंडहर बने घर खुद पै खुद डरावने लगने लगते हैं। देवभूमि उत्तराखंड जहां कदम कदम पर आपको रहस्यों की एक अलग ही दुनिया का सामना करना पड़ता है। यहां हर वक्त, हर कदम आपको रौंगटे खड़े कर देने वाली बातें दिखने को मिलेंगी। शोध कहता है कि अगर दुनिया में पॉजिटिव एनर्जी है तो कहीं न कहीं नेगेटिव एनर्जी भी जरूर है।

अगर दुनिया में भगवान का अस्तित्व है तो इस बात में भी कोई शक नहीं कि कहीं न कहीं बुरी आत्माओं का भी अस्तित्व अवश्य है। अच्छा, बुरा, सच, झूठ, पॉजिटिव, नेगेटिव, कर्म, दुष्कर्म ऐसे ही सिद्धातों पर विज्ञान भी काम करता है। आप यह भी जानते होंगे कि दुनिया के कई मुल्कों में पैरानॉर्मल एक्टिविटी का भी अध्ययन होता है। ये पैरानॉर्मल एक्टिविटी यह साबित करती है कि कुछ तो है, जो हमारे आस पास है और हमें दिखता नहीं। जैसा कि आपने राजस्थान के कुलधरा गांव के बारे में भी सुना होगा, जहां कोई नहीं रहता और कहा जाता है कि उस गांव में बुरी आत्माओं का वास है। लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड के स्वाला गांव की दास्तान बता रहे हैं।

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21वीं सदी विज्ञान की सदी है, इसलिए हम भी पुष्टि नहीं करते कि सच में उत्तराखंड के इस गांव में रहस्यमयी आत्माएं रहती हैं। लेकिन कुछ बातें ये मानने के लिए मजबूर कर देती हैं। चंपावत जिले में मौजूद स्वाला गांव। इस गांव को लेकर भुतहा गांव कहा जाता हैं। बताते हैं कि कभी इस गांव में काफी चहल पहल हुआ करती थी। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि इस गांव को शापित गांव कहा जाने लगा और लोग पूरा गांव खाली कर गए। कहा जाता है कि स्वाला गांव के पास सन1952 में पीएसी की एक बटालियन की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। गाड़ी के अंदर फंसे हुए जवान रक्षा के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन अंधेरा होने की वजह से उनकी मदद के लिए कोई नहीं आ पाया। यह भी बताते हैं कि कुछ लोगों ने उनके साजो-सामान लूट लिए और बिना मदद किए वहां से भाग गए।

इसके बाद ये जवान गाड़ी के अंदर की तड़प-तड़प कर मर गए। कहा जाता है कि अगर इंसान की इच्छा मृत्यु नहीं होती, तो उसकी आत्मा भटकने लगती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि स्वाला गांव में भी इसके बाद कुछ ऐसा ही हुआ था। जवानों की रूह ने इस गांव में कोहराम मचाना शुरू कर दिया। इस गांव में आज भी आत्माओं का वास है। स्थानीय लोगों ने दहशत कम करने के लिए इस गांव के पास एक मंदिर भी बनाया है। रास्ते से गुजरने वाला पहले इस मंदिर में मत्था टेकता है और तभी आगे बढ़ता है।

कहा जाता है कि ऐसा ना करने पर उसके साथ अनहोनी हो जाती है। इस गांव में ही एक नोटिस भी है, जिसमें जवानों की मौत की बात लिखी गई है। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि पलायन की वजह से ही ये गांव खाली हुआ है। असलियत क्या है यह तो कोई नहीं जानता इतना जरूर है कि यहां 1952 में बहुत बड़ी दुर्घटना हुई। जिसमें पीएसी के कई जवान मारे गए।तब से यह गांव खाली हो गया। चारों तरफ से बड़ी-बड़ी पहाड़ियों के बीच घाटी में बसे इस गांव को देखकर दिन में डर लगता है।

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