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बेटे की कस्टडी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला

प्रयागराज। गाजियाबाद के एक मामले में बेटे की कस्टडी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बड़ा और अहम फैसला सुनाया है।हाईकोर्ट ने कहा कि बेटे का हित मां के साथ बेहतर ढंग से सुरक्षित हैं।इसी के साथ कोर्ट ने तीन साल के बच्चे की अभिरक्षा (Custody of Son) मां को सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी अन्य अभिभावक की तुलना में अपनी मां के पास ही बच्चा सर्वाधिक सुरक्षित है। कोर्ट ने कहा कि पांच साल तक के बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार मां के पास ही सुरक्षित है।

गौरतलब है कि याची आईटी इंजीनियर प्रीति राय ने अपने साढ़े तीन साल के बेटे अद्वैत की अभिरक्षा दिलाए जाने की मांग की थी।अद्वैत अपने पिता प्रशांत शर्मा व दादा-दादी के पास रह रहा है।प्रशांत के वकीलों ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है, क्योंकि यहां माता-पिता दोनों में से किसी की भी अभिरक्षा को अवैध नहीं कहा जा सकता है।

सीजेएम गाजियाबाद को आदेश का पालन करवाने का निर्देश-
सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने कहा कि पांच साल तक के बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार मां के पास ही सुरक्षित है। इतना ही नहीं किसी अन्य अभिभावक की तुलना में बच्चा मां के पास ही अधिक और बेहतर ढंग से सुरक्षित है। कोर्ट ने पिता प्रशांत को बच्चे की अभिरक्षा उसकी मां प्रीति को सौंपने का आदेश दिया। जस्टिस जेजे मुनीर ने सीजेएम गाजियाबाद को निर्देशित किया कि वह अपनी उपस्थिति में आदेश का पालन सुनिश्चित करवाएं।

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