उत्तराखण्ड
लालकुआं में ट्रक ने फैक्ट्री कर्मचारी को कुचला, दो मासूमों के सिर से उठा पिता का साया, क्षेत्र में मातम
हल्द्वानी के लालकुआं क्षेत्र में गुरुवार की रात सन्नाटा चीखों में बदल गया। सेंचुरी पेपर मिल के बाहर वीआईपी गेट के पास एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने मिल कर्मचारी दीपक सिरोही को इस कदर कुचला कि मौके पर ही उसकी जान चली गई। एक हंसता-खेलता परिवार पल में टूट गया और मिल के भीतर काम करने वाला साथी कभी घर नहीं लौट सका।
दीपक सिरोही, सेंचुरी मिल में कार्यरत था और न्यू कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहता था। रोज़ की तरह उस शाम भी वह ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहा था। रास्ते में बाजार गया, कुछ ज़रूरी सामान खरीदा होगा, शायद बच्चों के लिए कुछ टॉफी भी ली होगी… लेकिन किसे पता था कि वह सफर जिंदगी की आख़िरी यात्रा बन जाएगा।
ट्रक, जो फैक्ट्री से माल उतारकर बाहर निकल रहा था, उसी गेट पर दीपक की बाइक से टकरा गया। पल भर में वह ट्रक के पहियों के नीचे आ गया। आसपास मौजूद लोग दौड़े, कुछ चिल्लाए, लेकिन सब बेबस थे। खून से लथपथ दीपक वहीं पड़ा रहा और जिंदगी उसका साथ छोड़ चुकी थी।
स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा—पुलिस और एंबुलेंस वक्त पर नहीं पहुंचे। लोगों ने कहा कि हादसे के करीब आधे घंटे बाद सहायता आई, तब तक सब खत्म हो चुका था।
दीपक की कुछ साल पहले ही शादी हुई थी। उसके दो छोटे बच्चे हैं—जिनकी आंखों में अब हर रात पिता के लौटने का इंतजार ताउम्र बाकी रहेगा। मां के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे, और पत्नी… बस एकटक दरवाज़ा देखे जा रही है।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और ट्रक चालक पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लेकिन सवाल अब भी वहीं हैं—क्या ऐसी मौतों को टाला नहीं जा सकता? क्या हमारे मज़दूर, कर्मचारी और आम लोग यूं ही सड़कों पर अपनी जान गंवाते रहेंगे?
ये महज़ एक दुर्घटना नहीं, एक परिवार के सपनों का बिखर जाना है… और उस मासूम सवाल का जन्म लेना है जो शायद आज कई घरों में गूंज रहा है—“पापा अब कभी वापस नहीं आएंगे क्या?”
















